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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में सड़क हादसों के पीछे अब एक नया, लेकिन गंभीर कारण सामने आया है—थकान और नींद की समस्या। आमतौर पर इन दुर्घटनाओं का संबंध शराब या तेज़ रफ्तार से जोड़ा जाता है, लेकिन हालिया शोध यह दर्शाता है कि पर्याप्त नींद न लेना और मानसिक थकावट भी एक बड़ा कारक बन चुके हैं।
जब थकान बनी मौत का कारण
एम्स ऋषिकेश के मानसिक रोग विभाग की निंद्रा इकाई ने एक गहन अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि सड़क दुर्घटनाओं में नींद से जुड़ी गड़बड़ियां बड़ी भूमिका निभा रही हैं। अध्ययन के अनुसार, दुर्घटना में घायल हुए 1,200 से अधिक व्यक्तियों पर शोध किया गया, जिनमें से 575 सीधे वाहन चला रहे थे। इनमें दोपहिया और तिपहिया चालकों की संख्या सबसे ज़्यादा रही।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 21% हादसे उन लोगों के साथ हुए जो गाड़ी चलाते समय नींद की अवस्था में थे या नींद संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। वहीं 26% हादसे अत्यधिक काम के कारण आई थकावट और उससे जुड़ी झपकी के चलते हुए। यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि सिर्फ शराब ही नहीं, बल्कि थकान और नींद की कमी भी सड़कों पर जानलेवा साबित हो रही है।
नशा और नींद – खतरनाक कॉम्बिनेशन
इस अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ कि कुल 32% हादसों में नशा शामिल था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि इन मामलों में अधिकतर लोग पहले से ही नींद की समस्या से ग्रसित थे। शराब के सेवन ने उनकी हालत और भी बिगाड़ दी, जिससे उनका ध्यान और प्रतिक्रिया समय बुरी तरह प्रभावित हुआ।
सुरक्षित दिखने वाली सड़कों पर ज़्यादा हादसे
अक्सर माना जाता है कि जटिल और उबड़-खाबड़ सड़कों पर ज़्यादा दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन इस अध्ययन ने यह मिथक तोड़ दिया। 68% हादसे सामान्य और सपाट सड़कों पर हुए, जो लोग रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं। ज़्यादातर हादसे शाम छह बजे से लेकर रात 12 बजे के बीच हुए, जब थकान और नींद का असर चरम पर होता है, और कई बार शराब का सेवन भी नींद की समस्या को और गंभीर बना देता है।
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