Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान में स्लीपर बस ऑपरेटर्स की हड़ताल ने यात्रियों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। जयपुर, उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर जैसे प्रमुख शहरों में बस अड्डों पर यात्रियों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। राजस्थान रोडवेज की बसों में सीट पाने के लिए लोग घंटों इंतजार कर रहे हैं, और कई यात्रियों ने तो रात भर बस अड्डे पर ही बिताई।
स्लीपर बसों की हड़ताल का असर: न केवल बसों पर, बल्कि रेलवे भी हुआ प्रभावित
हड़ताल के कारण स्लीपर बसों की लंबी दूरी वाली सेवाएं ठप हो गई हैं। इससे सिर्फ रोडवेज बसों पर निर्भर होने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ी है, बल्कि रेलवे पर भी दबाव बढ़ गया है। विशेषकर शादी सीजन के दौरान जब यात्रियों की संख्या अधिक रहती है, ट्रेन टिकटों की वेटिंग लिस्ट भी लंबी हो गई है।
यात्री अब दिल्ली, जोधपुर, उदयपुर और अन्य दूर-दराज के शहरों तक जाने के लिए निजी टैक्सी और ट्रेनों का सहारा ले रहे हैं। कुछ यात्रियों ने तो बताया कि उन्हें लखनऊ, आगरा, अहमदाबाद जैसी जगहों पर जाने के लिए अपनी यात्रा की योजना बदलनी पड़ी।
किराए में मनमानी बढ़ोतरी, आम जनता पर बोझ
स्लीपर बसों की हड़ताल के दौरान निजी बस ऑपरेटर्स ने किराए में काफी वृद्धि कर दी है। पहले जहां यात्रियों को ₹100 का किराया देना पड़ता था, अब वह ₹200 तक पहुंच गया है। इस अप्रत्याशित वृद्धि ने खासकर छात्रों और कामकाजी लोगों के लिए यात्रा करना और भी कठिन बना दिया है, जो रोजाना बसों पर निर्भर होते थे।
करीब 10 लाख यात्री रोज प्रभावित, निजी बस ऑपरेटरों की चेतावनी
राजस्थान में लगभग 30,000 निजी और अनुबंधित बसों के माध्यम से रोजाना लाखों यात्रियों का आवागमन होता है। स्लीपर बस ऑपरेटरों की हड़ताल के कारण करीब 10 लाख यात्री हर दिन प्रभावित हो रहे हैं। इस स्थिति को लेकर ऑपरेटर्स ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया, तो यह हड़ताल और लंबे समय तक जारी रह सकती है।
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