लखनऊ। सीबी सिंह जेपी आंदोलन के प्रमुख स्तम्भ व क्रांतिकारी चिंतक थे। वह भगतसिंह के क्रांतिकारी विचारों को अपना आदर्श मानते थे और उसी राह पर आजीवन चले। वह हर तरह के अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने में सबसे आगे रहे। उनके अंदर एक वैचारिक गहराई थी और मानवता के हितों में हर तरह का त्याग करने का साहस था। सीबी सिंह 16 फरवरी 2022 को इस संसार को अलविदा कहा था।
उक्त बातें वक्ताओं ने सीबी सिंह की स्मृति में हजरतगंज स्थित सीबी सिंह सभागार में आयोजित स्मृति सभा में कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोशलिस्ट चिंतक रामकिशोर व संचालन एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया। स्मृति सभा में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि सत्तर - अस्सी के दशक में सी. बी. सिंह छात्रों-युवाओं के सर्वमान्य नेता थे। उनके एक आवाज पर पूरे प्रदेश का छात्र-युवा सडकों पर आ जाता था।
सीबी सिंह ने आपातकाल के दौरान इमरजेंसी के विरोध के कारण चौबीस महीनें जेल में गुजारे थे। आपातकाल के दौरान जय प्रकाश नरायण के नेतृत्व में हुए देशव्यापी आन्दोलन में छात्र युवा संघर्ष समिति व छात्र युवा वाहिनी के गठन में सी. बी. सिंह की प्रमुख भूमिका थी। 1973 में हुए पुलिस, पीएसी आन्दोलन के वे प्रणेता थे। उस दौरान भी उन्हें जेल जाना पड़ा था।
क्रांतिकारी संघर्षों के साथ ही लोकतंत्र को वास्तविक बनाने के आंदोलनों में उनकी बेहद रूचि थी। उन्होंने आपातकाल के दौर में एक क्रांतिकारी जन राजनीति को व्यवहारिक रूप देने की कोशिश किया था। अंतिम समय में भी वह नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहे। जब भी युवा संघर्ष की बात होगी सीबी सिंह याद किये जाएंगे। नई पीढ़ी को उनके विचारों से अवगत कराने की जरुरत है।
स्मृति सभा में के के शुक्ला, उदयवीर सिंह, आदेश यादव, सतीश श्रीवास्तव, पुलकित, एडवोकेट प्रभात कुमार, विजय वर्मा, राजीव सिंह, इमरान अहमद, जय प्रकाश और एडवोकेट कुलदीप सहित अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
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