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Up Kiran, Digital News: 10 मई की वो मनहूस तारीख... जब पाकिस्तान की ओर से हुई बेशर्म गोलीबारी में BSF के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उनका पार्थिव शरीर इंडिगो की फ्लाइट से पटना एयरपोर्ट लाया गया, जहां पूरे सम्मान के साथ उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। चारों ओर पसरा सन्नाटा, नम आंखें, कांपते होंठ और गमगीन माहौल... मगर इन सबके बीच था गर्व, कि बिहार की माटी ने एक ऐसा बेटा दिया जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया।

छपरा के नारायणपुर गांव में मातम और सम्मान साथ-साथ

शहीद इम्तियाज बिहार के छपरा जिले के नारायणपुर गांव के रहने वाले थे। जैसे ही गांव में शहादत की खबर पहुंची, पूरे इलाके में मातम पसर गया। मगर यह मातम अकेला नहीं था—उसके साथ था गर्व, साहस और एक जुनून—जो हर देशभक्त की नसों में दौड़ता है।

गांव की गलियों में लोग इकट्ठा हो गए। हर चेहरा उदास था, मगर हर आंख में चमक थी- एक ऐसे बेटे की जो अब सिर्फ एक परिवार का नहीं बल्कि पूरा देश का बेटा बन गया था।

आरएस पुरा की सरहद पर आखिरी सांस

जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में BSF की पोस्ट पर तैनात थे इम्तियाज। पाकिस्तान की ओर से हो रही लगातार सीजफायर की अवहेलना के बीच, 10 मई को एक गोली ने उनके शरीर को छलनी कर दिया। मगर उनके हौसले को नहीं तोड़ सकी। वो देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए, मगर पीछे छोड़ गए एक ऐसी विरासत जिसे गांव, राज्य और पूरा भारत सलाम कर रहा है।

“पाकिस्तान को खत्म कर देना चाहिए” — शहीद का गुस्से में तपता परिवार

पटना एयरपोर्ट पर जब पार्थिव शरीर लाया गया, तो वहां बिहार सरकार के कई बड़े नेता, सेना के अधिकारी और आम लोग मौजूद थे। इम्तियाज के भाई ने भारत सरकार से सख्त लहजे में कहा कि अब बहुत हो चुका। पाकिस्तान को उसके नक्शे से मिटा देना चाहिए। हमारे भाई की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए।

आगे इम्तियाज के बेटे इमरान ने कहा कि पापा को सलाम करता हूं। मैंने उनसे आखिरी बार बात की थी जब सीजफायर का उल्लंघन हुआ था। अब वह हमारे बीच नहीं हैं। मगर मैं उन्हें सलाम करता हूं। मुझे गर्व है कि मैं शहीद का बेटा हूं।

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