
Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान ने हाल ही में एक संयुक्त हवाई युद्धाभ्यास किया है, जिसमें अमेरिकी वायु सेना के शक्तिशाली B-52 रणनीतिक बॉम्बर ने भी हिस्सा लिया। यह त्रि-राष्ट्रीय अभ्यास उत्तर कोरिया के लगातार मिसाइल परीक्षणों और परमाणु खतरों के जवाब में, क्षेत्र में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और तीनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को गहरा करने के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य तीनों देशों की वायु सेनाओं के बीच अंतःक्रियाशीलता (interoperability) और समन्वय को बढ़ाना है। B-52 जैसे परमाणु-सक्षम बॉम्बर की उपस्थिति यह दर्शाती है कि अमेरिका अपने सहयोगियों, दक्षिण कोरिया और जापान के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को लेकर कितना गंभीर है, और जरूरत पड़ने पर उन्हें हर संभव रक्षात्मक क्षमता प्रदान करने के लिए तैयार है।
युद्धाभ्यास का महत्व: प्रतिरोधक क्षमता: यह अभ्यास उत्तर कोरिया को यह स्पष्ट संदेश देता है कि उसके किसी भी आक्रामक कदम का संयुक्त रूप से और ताकत के साथ जवाब दिया जाएगा।
सहयोग में वृद्धि: यह तीनों देशों की सेनाओं को एक साथ काम करने, अपनी रणनीतियों को एकीकृत करने और वास्तविक युद्ध परिदृश्यों के लिए तैयारी करने का अवसर प्रदान करता है।
क्षेत्रीय सुरक्षा: उत्तर कोरिया के लगातार बढ़ते खतरों के बीच, यह अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रौद्योगिकी और कौशल साझाकरण: तीनों देश एक-दूसरे की सैन्य प्रौद्योगिकियों और परिचालन कौशल से सीखने का अवसर प्राप्त करते हैं।
यह संयुक्त हवाई युद्धाभ्यास क्षेत्र में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय चिंता को भी दर्शाता है। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने हाल ही में अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने और मिसाइल परीक्षण जारी रखने की धमकी दी है, जिससे कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव और बढ़ गया है।
ऐसे में, दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान का यह एकजुट प्रदर्शन क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखने और किसी भी संभावित संघर्ष को रोकने के लिए आवश्यक है।
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