
Up Kiran, Digital Desk: मंगलवार को अंतरिक्ष की दुनिया में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई। स्पेसएक्स का प्रतिष्ठित फाल्कन 9 रॉकेट, जिसने एक भारतीय छात्र द्वारा तैयार किए गए एक पेलोड, जिसे 'शुक्ला' नाम दिया गया है, को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया, वह मात्र 8 मिनट के भीतर सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आया।
यह मिशन फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया था। रॉकेट ने 'शुक्ला' को निर्धारित कक्षा में छोड़ा और उसके तुरंत बाद ही, उसने अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर दी। अपनी अविश्वसनीय गति और सटीकता का प्रदर्शन करते हुए, फाल्कन 9 रॉकेट ने केप कैनावेरल की लैंडिंग जोन 1 (LZ-1) पर सफलतापूर्वक वर्टिकल लैंडिंग की। यह एक ऐसा कारनामा है जो स्पेसएक्स की बार-बार इस्तेमाल किए जा सकने वाले (रियूजेबल) रॉकेट तकनीक में महारत को दर्शाता है।
फाल्कन 9 की यह सफलता अंतरिक्ष अभियानों को और अधिक किफायती और सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा योगदान है। स्पेसएक्स लगातार रॉकेट के पुर्जों को फिर से उपयोग करने की अपनी क्षमता में सुधार कर रहा है, जिससे अंतरिक्ष यात्रा की लागत में भारी कमी आ रही है। यह न केवल कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ है, बल्कि यह भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण और वाणिज्यिक उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए भी नए दरवाजे खोल रहा है।
'शुक्ला' पेलोड के बारे में अधिक विवरण साझा नहीं किए गए हैं, लेकिन यह भारतीय छात्रों की बढ़ती भागीदारी और नवाचार को दर्शाता है, जो वैश्विक अंतरिक्ष प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
यह उपलब्धि न केवल स्पेसएक्स की तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाती है, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी नई उम्मीदें जगाती है, जहाँ रॉकेट का बार-बार उपयोग करना एक सामान्य प्रक्रिया बन जाएगी।
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