
भारत में चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर का नाम "बद्रीनाथ" कैसे पड़ा? इसके पीछे एक पौराणिक और भावनात्मक कहानी जुड़ी हुई है।
बद्रीनाथ नाम की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु तप करने के लिए हिमालय की पहाड़ियों पर आए थे। वे एक गुफा में ध्यानमग्न हो गए। यह स्थान बहुत ठंडा था और बर्फ से ढका हुआ था। भगवान विष्णु की सेवा के लिए माता लक्ष्मी ने बदरी (एक जंगली बेर का पेड़) का रूप धारण किया और पूरे स्थान को ढक लिया ताकि बर्फ और ठंडी हवाओं से भगवान विष्णु को कोई कष्ट न हो।
भगवान विष्णु जब ध्यान से बाहर आए तो उन्होंने माता लक्ष्मी के इस त्याग और प्रेम को देखकर बहुत प्रसन्न होकर इस स्थान का नाम "बद्रीनाथ" रख दिया — जिसका अर्थ है "बदरी का स्वामी" यानी जिनके नाथ (स्वामी) भगवान विष्णु हैं।
आध्यात्मिक महत्व
बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु के नर-नारायण अवतार को समर्पित है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊँचाई पर है। यहां की यात्रा को बेहद पुण्यदायी माना जाता है।
कैसे जाएं बद्रीनाथ
बद्रीनाथ जाने के लिए ऋषिकेश या देहरादून से बस या टैक्सी ली जा सकती है। गर्मियों के मौसम (मई से अक्टूबर) में यात्रा करना सुरक्षित और सुविधाजनक होता है।
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