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बॉलीवुड में कई ऐसे स्टारकिड हैं जो हमेशा चर्चा में रहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अचानक लाइमलाइट से गायब हो जाते हैं। 90 के दशक में एक ऐसा चेहरा उभरा था जिसने अपनी पहली ही फिल्म से दर्शकों का ध्यान खींचा। यह चेहरा था कमल सदाना का—निर्देशक बृज सदाना और सईदा खान के बेटे। अपनी पहली फिल्म 'बेखुदी' में काजोल के साथ नजर आए कमल, अपने हैंडसम लुक और अभिनय के दम पर एक अच्छा करियर बना सकते थे। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने सब कुछ बदल दिया।

काजोल के साथ किया बॉलीवुड डेब्यू

कमल सदाना ने 1992 में फिल्म 'बेखुदी' से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। यह फिल्म काजोल की भी पहली फिल्म थी। हालांकि फिल्म को बहुत बड़ी सफलता नहीं मिली, लेकिन कमल को एक उभरते हुए अभिनेता के तौर पर पहचान मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन इसी दौरान उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया जिसने उन्हें अंदर से तोड़कर रख दिया।

20वें जन्मदिन पर हुआ जीवन का सबसे बड़ा हादसा

कमल सदाना ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके 20वें जन्मदिन के दिन उनके पिता ने शराब के नशे में अपनी पत्नी और बेटी को गोली मार दी थी और बाद में खुद की भी जान ले ली। यही नहीं, कमल को भी गोली लगी थी, जो उनकी गर्दन को चीरते हुए आर-पार हो गई। किसी चमत्कार की तरह वे इस गोली से बच गए।

गर्दन में लगी थी गोली, मौत से चमत्कारिक बचाव

कमल ने बताया कि गोली उनकी गर्दन की एक तरफ घुसी और दूसरी ओर निकल गई। उन्हें नहीं पता था कि उन्हें भी गोली लगी है। उन्होंने अपनी मां और बहन को अस्पताल ले जाने की कोशिश की, जबकि खुद खून से लथपथ थे। अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि उन्हें भी गोली लगी है। ऑपरेशन हुआ, जख्म भरा, लेकिन अंदर का घाव उन्हें सालों तक दर्द देता रहा।

पिता का व्यवहार सामान्य था, हादसा बना रहस्य

कमल ने कहा कि उनके पिता न तो हिंसक थे और न ही क्रूर। उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि ऐसा कुछ हो सकता है। उन्होंने अपने माता-पिता और बहन की मौत को जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बताया और कहा कि इस हादसे ने उन्हें मानसिक रूप से बहुत लंबे समय तक झकझोर कर रखा।

सालों तक नहीं मनाया जन्मदिन

कमल ने कहा कि उस हादसे के बाद उन्होंने कई सालों तक अपना जन्मदिन नहीं मनाया। जब वे अस्पताल से घर लौटे तो वहां चारों ओर सन्नाटा था और उनका पूरा परिवार हमेशा के लिए चला गया था। जन्मदिन का जिक्र आते ही उन्हें उस दिन की हर बात याद आ जाती है—चीखें, खून, गोलियों की आवाज और अकेलापन।

फिर भी उठे और जिंदगी को फिर से गले लगाया

इन हालातों से उबरना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, लेकिन कमल ने धीरे-धीरे खुद को संभाला। उन्होंने फिर से फिल्मों में काम किया, प्रोडक्शन और निर्देशन की ओर रुख किया। हालांकि उनका करियर कभी ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सका, लेकिन उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी।