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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति का वो चेहरा, जिसे 'नीतीश चाचा' के नाम से जाना जाता है, पिछले कई दशकों से सूबे की सत्ता पर काबिज़ रहा है. बार-बार मुख्यमंत्री बनना, गठबंधन बदलना, और हर बार वापसी करना - ये सब नीतीश कुमार की पहचान बन चुका है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि उन्होंने आखिरी बार सीधे बिहार की किसी विधानसभा सीट से कब चुनाव जीता था?

ज़्यादातर लोग शायद ये सोचकर चौंक जाएं, लेकिन हकीकत यही है कि नीतीश कुमार ने आखिरी बार 1990 में एक विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. यह सीट थी हरनौत. उस जीत के बाद, नीतीश कुमार ने कभी भी बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए खुद को उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया.

तो फिर कैसे बन जाते हैं बार-बार मुख्यमंत्री?

इसके पीछे की वजह बहुत सीधी है. 1990 के बाद, नीतीश कुमार ने या तो विधान परिषद (MLC) का रास्ता चुना या फिर अपने विधायकों के दम पर मुख्यमंत्री पद संभाला. बिहार में विधानसभा की बहुमत का गणित ही उन्हें कुर्सी तक पहुंचाता रहा है. यानी, वह सदन के नेता तो बने, पर सीधे जनता से वोट लेकर विधायक के तौर पर नहीं.

यह स्थिति आज की राजनीति में, जहाँ नेता सीधे जनता से जुड़ने का दावा करते हैं, अपने आप में एक बड़ी बात है. भले ही नीतीश कुमार ने इस मॉडल से बिहार में स्थिरता लाई हो, लेकिन यह सवाल हमेशा खड़ा होता है कि आखिर क्या वजह है कि पिछले 30 सालों से उन्होंने विधानसभा की जनता से सीधी वोट की अपील नहीं की.