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Up Kiran, Digital Desk: लद्दाख में छठी अनुसूची को लेकर उठ रहे आंदोलन ने हाल ही में हिंसक स्वरूप धारण कर लिया। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में चार लोग मारे गए जबकि 80 से अधिक घायल हुए। भीड़ ने भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आग लगा दी और कई वाहन जलाकर इलाके में भय का माहौल बनाया गया। इस हिंसा के कारण प्रशासन को कर्फ्यू लागू करना पड़ा। आंदोलन की इस गंभीर स्थिति ने स्थानीय जनता के जीवन को प्रभावित कर दिया है और क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक हो गई है।
स्थानीय लोग अपनी पहचान और संसाधनों की रक्षा के लिए संघर्षरत
2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से लद्दाख के निवासी अपनी सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। केंद्र सरकार द्वारा मई में डोमिसाइल नीति लागू करने के बावजूद स्थानीय युवा लद्दाख लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग की स्थापना की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि मौजूदा नीतियां उनकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करतीं। भाषा, संस्कृति, जमीन और संसाधनों के संरक्षण के लिए यह संघर्ष गहराता जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का आंदोलन पर नजरिया
लद्दाख के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने इस हिंसा पर दुःख व्यक्त किया है। वे आंदोलन को "जनरेशन जेन जी" की क्रांति बताते हुए युवाओं से संयम रखने की अपील कर चुके हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस का इस हिंसा में कोई खास प्रभाव नहीं है और युवा स्वाभाविक रूप से अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कांग्रेस काउंसलर फुटसोग स्टेंजिन की आलोचना करते हुए बताया कि उनकी भूमिका सीमित है और वे युवाओं को हिंसा के लिए उकसा नहीं रहे हैं।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और विवाद
हिंसा के बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। भाजपा ने कांग्रेस काउंसलर पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का आरोप लगाया है जबकि कांग्रेस इसे सरकार की नाकामियों के कारण युवाओं का स्वाभाविक आक्रोश बताती है। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया है। इस बीच प्रशासन ने हिंसक काउंसलर फुटसोग स्टेंजिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
उमर अब्दुल्ला की चिंता और निराशा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लद्दाख में बढ़ते तनाव पर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा दिलाने के जो वादे थे वे पूरी तरह से पूरे नहीं हुए हैं, जिससे लोगों में निराशा और गुस्सा बढ़ा है। उमर ने लद्दाख के लोगों के दर्द को समझने की जरूरत पर जोर दिया और केंद्र सरकार से संवाद की अपील की।
प्रदर्शनकारियों ने अचानक भड़काया प्रदर्शन
एलएबी की युवा शाखा द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शन शुरू में शांतिपूर्ण था। लेकिन दोपहर तक स्थिति बदल गई और बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। नारेबाजी के बीच उन्होंने तोड़-फोड़ शुरू कर दी। भाजपा कार्यालय और सरकारी वाहनों को आग के हवाले किया गया। इस दौरान प्रशासन को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ी।
अवसरवादी तत्वों की संभावित भूमिका
स्थानीय लोग मानते हैं कि इस हिंसा के पीछे बाहरी और अवसरवादी ताकतों का हाथ हो सकता है जो लद्दाख की शांतिपूर्ण छवि को खराब करना चाहते हैं। लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में यह पहली बार है कि इस तरह की हिंसा देखने को मिली है। यह स्थिति प्रशासन और समुदाय के लिए एक चुनौती बन गई है।