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Up Kiran, Digital Desk:  इंडियन प्रीमियर लीग में मंगलवार रात हुए मुकाबले में कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) की जीत जितनी रोमांचक थी उतनी ही खास थी उसकी अगुवाई करने वाले शख्स की मौजूदगी  सुनील नरेन। एक ऐसे खिलाड़ी जो हमेशा परदे के पीछे रहते हैं लेकिन जब सामने आते हैं तो सारा दृश्य बदल देते हैं।

दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मैच के 12वें ओवर में कप्तान अजिंक्य रहाणे के चोटिल होकर मैदान से बाहर जाने के बाद नरेन ने अचानक कप्तानी संभाल ली  बिना कोई इशारा बिना शोर। लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने बता दिया कि क्यों वह केकेआर की आत्मा माने जाते हैं।

जब कप्तान चोटिल हुआ तो "मिस्टर साइलेंट" ने संभाली कमान

केकेआर के नियमित कप्तान रहाणे जब फाफ डु प्लेसिस के शॉट को रोकते हुए चोटिल हो गए तो सभी की निगाहें मैदान पर भटक रही थीं कि अब अगला निर्णय कौन लेगा। जवाब आया सुनील नरेन के शांत चेहरे से। उन्होंने बिना कोई आक्रोश बिना अतिरिक्त हावभाव के कप्तानी की ज़िम्मेदारी उठाई  और वहीं से मैच का रुख बदल गया।

सिर्फ गेंदबाज़ नहीं रणनीतिकार भी हैं नरेन

नरेन ने पहले वरुण चक्रवर्ती को दोबारा आक्रमण पर लाकर जोखिम लिया  एक ऐसा गेंदबाज जो शुरुआती ओवरों में महंगा साबित हो चुका था। लेकिन यह चाल काम आई। इसके बाद खुद को गेंदबाजी में वापस लाकर उन्होंने अक्षर पटेल और ट्रिस्टियन स्टब्स के विकेट निकालकर डीसी की उम्मीदों को गहरी चोट दी।

14वें ओवर तक जीत का प्रतिशत केकेआर के लिए 45% था लेकिन नरेन के दो विकेटों के बाद यह आंकड़ा सीधे 72% तक पहुंच गया। यह वही क्षण था जहां एक कप्तान की रणनीति ने मैच की तस्वीर बदल दी।

मैदान पर शांत पर फैसलों में सटीक

नरेन ने डु प्लेसिस जैसे सेट बल्लेबाज़ को 16वें ओवर में आउट कर जीत की नींव रखी। उन्होंने अपने कोटे के चार ओवर में सिर्फ 29 रन देकर 3 विकेट लिए  और शायद इससे भी बड़ी बात ये रही कि उन्होंने यह सब ऐसे समय में किया जब टीम को सबसे ज़्यादा जरूरत थी।

आंद्रे रसेल ने मैच के बाद कहा “सुनील हमेशा से लीडर रहे हैं। लोग उन्हें कम बोलने वाला समझते हैं लेकिन मैदान में उनकी मौजूदगी ही सब कुछ बदल देती है।”

 

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