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Up Kiran, Digital Desk: यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें दावा किया गया है कि आवारा कुत्तों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि इस मामले के लिए गठित तीन सदस्यीय विशेष पीठ, जिसकी आज सुनवाई होनी थी, उसे रद्द कर दिया गया है।

कपिल सिब्बल ने कहा कि इस बीच एमसीडी ने ऐसे नियम बना दिए हैं, जो न सिर्फ पहले से तय दिशा-निर्देशों के विपरीत हैं, बल्कि जमीनी हकीकत से भी मेल नहीं खाते। जब पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर सात जनवरी को विचार करेगी, तो सिब्बल ने चिंता जताई कि दिसंबर के भीतर ही इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा और आवारा कुत्तों को हटा दिया जाएगा, जबकि उनके लिए पर्याप्त आश्रय की व्यवस्था नहीं है।

इस पर न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि उन्हें ऐसा करने दिया जाए और अदालत इस पर विचार करेगी। सिब्बल ने आग्रह किया कि मामले की सुनवाई शुक्रवार को ही की जाए, क्योंकि जो कुछ किया जा रहा है, वह बेहद अमानवीय है।

इस पर न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कहा कि अगली सुनवाई की तारीख पर अदालत एक वीडियो दिखाएगी और पूछा जाएगा कि मानवता आखिर होती क्या है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर को आदेश दिया था कि आवारा कुत्तों को निर्धारित आश्रयों में ले जाकर उनकी नसबंदी और टीकाकरण किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि जिन कुत्तों को उठाया जाए, उन्हें वापस उसी स्थान पर न छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया है।

इसके अलावा पीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि राज्य राजमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से सभी मवेशियों और अन्य आवारा जानवरों को हटाया जाए। यह मामला 28 जुलाई को सामने आई एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुआ था, जिसमें राजधानी में खासकर बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमलों और रैबिज के खतरे का जिक्र किया गया था।