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recruitment rules: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने गुरुवार को कहा कि सार्वजनिक सेवाओं में नौकरी भर्ती के मामले में पदों पर उम्मीदवारों के चयन के नियमों को प्रक्रिया के बीच में नहीं बदला जा सकता।

SC ने कहा कि सरकारी नौकरी के लिए चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता, जब तक कि नियम इसकी अनुमति न दें।

अदालत के समक्ष एक कानूनी प्रश्न था कि क्या किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति के मानदंडों को संबंधित प्राधिकारियों द्वारा बीच में या चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद बदला जा सकता है।

आज अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने के. मंजूश्री आदि बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2008) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया था कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता।

पांच न्यायाधीशों की पीठ ने आज कहा कि के. मंजूश्री निर्णय अच्छा कानून है और इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि भर्ती प्रक्रिया आवेदन मांगने के साथ शुरू होती है और रिक्तियों को भरने के साथ खत्म होती है और पात्रता नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि भर्ती के नियमों को भी अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 16 (सार्वजनिक रोजगार में भेदभाव न करना) के मानक को पूरा करना होगा और वैधानिक बल वाले मौजूदा नियम मनमाने नहीं होने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि चयन सूची में स्थान मिलने से अभ्यर्थी को रोजगार पाने का पूरा हक नहीं मिल जाता।

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