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Up Kiran, Digital Desk: भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर और शारदा विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के कई मामलों का स्वत: संज्ञान लिया है। यह कदम देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया है। स्वत: संज्ञान लेने का अर्थ है कि न्यायालय ने बिना किसी याचिका या अपील के, स्वयं ही इस मामले पर कार्यवाही शुरू की है, जो इसकी तात्कालिकता और सार्वजनिक महत्व को रेखांकित करता है।

इन मामलों में आईआईटी खड़गपुर और शारदा विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई कई आत्महत्याएं शामिल हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। इन घटनाओं ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों पर पड़ने वाले शैक्षणिक दबाव, मानसिक तनाव, अलगाव और अन्य व्यक्तिगत समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया है।

सुप्रीम कोर्ट संभवतः इन संस्थानों और संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगेगा। इस रिपोर्ट में आत्महत्याओं के कारणों, संस्थानों द्वारा उठाए गए कदमों, मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवाओं की उपलब्धता और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रस्तावित उपायों पर जानकारी शामिल हो सकती है।

यह संभावना है कि न्यायालय इन संस्थानों को छात्रों के लिए बेहतर परामर्श सेवाएं, तनाव प्रबंधन कार्यक्रम और एक सहायक वातावरण बनाने के लिए निर्देश जारी कर सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप न केवल इन विशिष्ट मामलों में जवाबदेही तय करने में मदद करेगा, बल्कि देश भर के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करेगा।

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