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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई तेजी से चल रही है। देश के विभिन्न हिस्सों से दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया है कि वक्फ अधिनियम संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। अब अदालत इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार कर रही है।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वक्फ बोर्ड को जो कानूनी अधिकार दिए गए हैं, वे अन्य धार्मिक और सामाजिक संगठनों को नहीं दिए जाते। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह कानून विशेष समुदाय को अनुचित लाभ देता है और अन्य समुदायों के साथ भेदभाव करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के खिलाफ है।

सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वक्फ अधिनियम ऐतिहासिक और संवैधानिक पृष्ठभूमि में बना है और इसका उद्देश्य धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा व प्रबंधन है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून को किसी भी समुदाय के विरुद्ध न मानते हुए, व्यापक सामाजिक उद्देश्य के रूप में देखा जाना चाहिए।

वहीं, कुछ अन्य पक्षों ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं और इस पर एक निष्पक्ष व पारदर्शी तंत्र की आवश्यकता है। अदालत ने इन सभी दलीलों को ध्यानपूर्वक सुना और संकेत दिया कि अगली सुनवाई तक अंतरिम आदेश दिया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक संतुलन से भी जुड़ा है। अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए अदालत ने सभी पक्षों से विस्तृत लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है।

अब पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के संभावित अंतरिम आदेश पर टिकी हैं, जो वक्फ अधिनियम की भविष्य की दिशा तय कर सकता है।

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