img

Up Kiran, Digital Desk: भारतीय संस्कृति परंपराओं और मान्यताओं का एक अद्भुत संगम है, जहां हर रस्म, हर प्रथा के पीछे एक गहरा अर्थ छिपा होता है। ऐसी ही एक आम मान्यता है कि बेटियों को मायके से ससुराल अचार नहीं लाना चाहिए। अक्सर घर की बड़ी-बुजुर्ग महिलाएं अपनी बेटियों या बहुओं को इस बात की हिदायत देती हैं, लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है, यह कम ही लोग जानते हैं। क्या यह सिर्फ एक अंधविश्वास है, या इसके पीछे कोई ज्योतिषीय या सांस्कृतिक कारण है? आइए, इस अनूठी परंपरा की जड़ों को समझते हैं।

अचार: स्वाद से बढ़कर, भावनाओं का प्रतीक

अचार सिर्फ एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि भारतीय घरों में प्यार, स्वाद और संरक्षण का प्रतीक है। इसे बनाने की प्रक्रिया में मेहनत, धैर्य और परिवार के प्रति स्नेह झलकता है। चाहे वह आम का खट्टा-मीठा अचार हो, या नींबू का तीखा स्वाद, अचार का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन जब बात बेटियों के मायके से ससुराल अचार लाने की आती है, तो यह एक संवेदनशील विषय बन जाता है।

क्या हैं मायके से अचार लाने के पीछे की मान्यताएं?

रिश्तों में खटास का डर: सबसे प्रचलित मान्यताओं में से एक यह है कि अचार की तासीर खट्टी होती है। ऐसे में, मायके से अचार लाकर ससुराल में रखने से रिश्तों में खटास आ सकती है। यह माना जाता है कि इससे बेटी के मायके और ससुराल दोनों के बीच के संबंध कड़वे हो सकते हैं, और वैवाहिक जीवन में अनबन या कड़वाहट घुल सकती है। 

यात्रा में तेल ले जाने का अशुभ संकेत: अचार बनाने में मुख्य रूप से तेल का इस्तेमाल होता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यात्रा के दौरान तेल साथ ले जाना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे यात्रा में बाधाएं आ सकती हैं या यात्रा का पूरा फल नहीं मिलता। चूंकि अचार में तेल होता है, इसलिए इसे यात्रा में साथ ले जाना भी अशुभ माना गया है। 

मायके के प्रति पक्षपात की भावना: एक मान्यता यह भी है कि बेटी के मायके से अचार लाने का अर्थ है कि वह अभी भी पूरी तरह से अपने मायके से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है और ससुराल को उतना महत्व नहीं दे रही। यह छोटी सी बात भी वैवाहिक घर में पक्षपात या असमानता की भावना को बढ़ावा दे सकती है। 

शनि देव का प्रभाव और धन हानि का भय: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अचार में इस्तेमाल होने वाला सरसों का तेल शनि देव को अत्यंत प्रिय है और उनकी पूजा में इसका विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप किसी से भी अचार बिना किसी भुगतान के (यानी उपहार स्वरूप) लेते हैं, तो इससे शनि देव नाराज हो सकते हैं। इससे कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप धन की तंगी, आर्थिक नुकसान और जीवन में अन्य परेशानियां आ सकती हैं। 

सुरक्षा और संरक्षण का प्रतीक: अचार को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए बनाया जाता है, जो किसी भी चीज़ को सुरक्षित रखने का प्रतीक है। कुछ लोग मानते हैं कि अपनी 'सुरक्षित' चीज़ या 'धन' (जो अचार के रूप में संरक्षित है) को किसी और को देना, अपनी समृद्धि को बांटने जैसा हो सकता है।

अपवाद और समाधान: इन मान्यताओं के बीच कुछ समाधान भी बताए गए हैं। कई लोग मानते हैं कि यदि मायके से अचार लाना ही हो, तो उसके बदले में एक छोटा सा राशि (जैसे एक या दो रुपये) देकर लेना चाहिए। ऐसा करने से वह 'उपहार' की श्रेणी से निकलकर एक 'लेन-देन' बन जाता है, जिससे ज्योतिषीय और सांस्कृतिक मान्यताएं कुछ हद तक शांत हो सकती हैं। 

--Advertisement--