Up Kiran, Digital Desk: pak के अशांत सीमावर्ती इलाकों में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। दक्षिण वजीरिस्तान में शनिवार सुबह हुए एक हमले में 12 पाकिस्तानी जवानों की जान चली गई, जबकि चार अन्य घायल हुए। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। हमले की तीव्रता और इसे अंजाम देने का तरीका बताता है कि आतंकी गतिविधियां एक बार फिर तेज़ी से सिर उठा रही हैं।
हमले की टाइमिंग और तरीका बढ़ा रहा सवाल
यह हमला सुबह करीब 4 बजे हुआ, जब सेना का एक काफिला इलाके से गुजर रहा था। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, हमलावरों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी और दोनों ओर से भारी हथियारों का इस्तेमाल किया गया। गोलीबारी के बाद हमलावर सेना का कुछ सैन्य सामान भी अपने साथ ले गए। सुरक्षा एजेंसियां अब जांच में जुटी हैं कि कैसे इतना योजनाबद्ध हमला अंजाम दिया गया।
स्थानीय लोगों की बेचैनी बढ़ी
दक्षिण वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे इलाकों में रहने वाले नागरिक एक बार फिर असुरक्षा महसूस कर रहे हैं। हाल के हफ्तों में टीटीपी के पोस्टर और नारे कई इमारतों की दीवारों पर देखे गए हैं, जिससे लोगों में डर का माहौल बन गया है। बहुत से लोग इस बात से चिंतित हैं कि क्या फिर से वही दौर लौट आएगा जब तालिबान ने इन क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था।
टीटीपी की वापसी: पुराने ज़ख्म फिर हरे
2014 में पाकिस्तानी सेना के अभियान के बाद टीटीपी को सीमावर्ती इलाकों से पीछे हटना पड़ा था। लेकिन अफगानिस्तान में 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाक-अफगान सीमा पर आतंकी गतिविधियों में इजाफा देखने को मिल रहा है। टीटीपी और अफगान तालिबान औपचारिक रूप से अलग संगठन हैं, लेकिन दोनों के बीच करीबी रिश्ते माने जाते हैं।
काबुल पर पाकिस्तान के आरोप, लेकिन समाधान नहीं
पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान पर यह आरोप लगाता रहा है कि वह अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा। इस्लामाबाद का कहना है कि ये आतंकी अफगानिस्तान से पाकिस्तान में घुसपैठ कर हमले करते हैं। वहीं अफगान सरकार इन आरोपों से इंकार करती आई है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
सुरक्षा बलों पर लगातार बढ़ रहे हमले
इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में करीब 460 लोग आतंकवादी घटनाओं में मारे गए हैं। इनमें अधिकतर सुरक्षाबलों के जवान शामिल हैं। आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि पिछले साल पाकिस्तान ने लगभग एक दशक की सबसे हिंसक अवधि का सामना किया, जिसमें 1,600 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
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