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Up Kiran, Digital Desk: मुंबई आतंकवादी हमलों के सिलसिले में भारत द्वारा प्रत्यर्पण की मांग का सामना कर रहे तहव्वुर राणा ने एक सनसनीखेज दावा किया है। उसने कहा है कि वह पाकिस्तानी सेना का एक 'भरोसेमंद आदमी' था और उसे सऊदी अरब में एक 'गुप्त मिशन' पर भेजा गया था। यह दावा उस समय सामने आया है जब भारत उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रहा है।

क्या है तहव्वुर राणा का दावा?
अमेरिकी अदालत में अपनी प्रत्यर्पण याचिका के खिलाफ दलीलें पेश करते हुए, तहव्वुर राणा ने कथित तौर पर यह चौंकाने वाला बयान दिया। उसने कहा कि उसे पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन प्रमुख, जनरल अशफाक परवेज कयानी, और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के प्रमुख अहमद शुजा पाशा जैसे शीर्ष अधिकारियों का विश्वास प्राप्त था। राणा का दावा है कि उसे सऊदी अरब में एक 'विशेष काम' के लिए भेजा गया था, जो संभवतः राजनयिक या खुफिया प्रकृति का था।

दावे के निहितार्थ और भारत के लिए महत्व:
राणा का यह बयान न केवल उसके बचाव की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह पाकिस्तान पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि उसके दावे सच हैं, तो यह सीधे तौर पर दिखाता है कि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी ISI का आतंकवादियों और उनकी गतिविधियों के साथ सीधा संबंध है। 

भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर अपनी धरती से आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है, और राणा का यह कबूलनामा (यदि सत्यापित होता है) भारत के रुख को और मजबूत करेगा।

यह मामला एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर कर सकता है, जहां वह एक तरफ आतंकवाद से लड़ने का दावा करता है, वहीं दूसरी तरफ उसके कुछ अधिकारी या एजेंसियां कथित तौर पर ऐसे तत्वों को समर्थन देती हैं।

तहव्वुर राणा, पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक, को मुंबई हमलों की साजिश में डेविड हेडली के साथ शामिल होने का दोषी ठहराया गया है। भारत उसे हमलों में उसकी भूमिका के लिए न्याय के कटघरे में लाना चाहता है। अब अमेरिकी अदालत को राणा के इस नए दावे की विश्वसनीयता पर विचार करना होगा, क्योंकि यह उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

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