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इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद एक बार फिर अपने गुप्त मिशन के कारण चर्चा में है। इस बार मिशन का नाम है "ऑपरेशन नार्निया", जिसके तहत ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया गया है। माना जा रहा है कि यह ऑपरेशन बेहद गोपनीय और तकनीकी रूप से उन्नत था।

ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है, खासकर ईरान की परमाणु योजना को लेकर। इजरायल को आशंका है कि ईरान परमाणु बम बनाने की दिशा में काम कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

इसलिए, मोसाद ने एक "हिट लिस्ट" तैयार की जिसमें उन वैज्ञानिकों के नाम थे जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े थे। फिर एक-एक करके इन पर हमले हुए। इन घटनाओं में कार बम, ड्रोन हमले, और हाईटेक गन का इस्तेमाल किया गया। कुछ मामलों में हमलावर बाइक पर आए और गोली चलाकर फरार हो गए।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मिशन में इजरायल को कुछ स्थानीय मदद भी मिली, लेकिन यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि इसमें कौन-कौन शामिल था।

ईरान ने इन हत्याओं का आरोप सीधे इजरायल पर लगाया है और कहा है कि यह देश की संप्रभुता के खिलाफ है। वहीं, इजरायल ने आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की है, लेकिन संकेत दिए हैं कि वह अपनी सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।

यह मिशन यह दर्शाता है कि आधुनिक जासूसी और टारगेटेड ऑपरेशन अब फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि असल दुनिया का हिस्सा बन चुके हैं।

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