Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का वक्त जैसे-जैसे पास आता जा रहा है, कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को और भी ताकतवर बना लिया है। इस बार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी स्वयं मोर्चा संभालेंगे। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेता राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुल 15 रैलियां करने वाले हैं। इन रैलियों का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाना और महागठबंधन के पक्ष में माहौल तैयार करना है। कांग्रेस पार्टी ने खास ध्यान उन इलाकों पर दिया है, जो अभी तक राजनीतिक दृष्टि से कमजोर माने जाते हैं।
राहुल और तेजस्वी ने किया एनडीए पर हमला
राहुल गांधी ने हाल ही में मुजफ्फरपुर और दरभंगा में अपनी चुनावी रैलियों की शुरुआत की। इस मौके पर उनके साथ तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। दोनों नेताओं ने एनडीए सरकार की नीतियों पर कड़ा हमला करते हुए जनता से अपील की कि वे भ्रष्ट और सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से बाहर करें। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर इन रैलियों को लेकर उत्साह व्यक्त करते हुए लिखा, "सकरा और दरभंगा की रैलियों ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है। जनता बदलाव चाहती है।"
प्रियंका गांधी का ध्यान युवाओं और महिलाओं पर
प्रियंका गांधी इस समय वायनाड में हैं, लेकिन वह जल्द ही बिहार दौरे पर आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, उनके चुनावी दौरे के तहत कई बड़ी सभाएं आयोजित की जाएंगी। प्रियंका का खास ध्यान युवाओं और महिला मतदाताओं पर होगा। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि प्रियंका गांधी की रैलियों से चुनावी माहौल में नई ऊर्जा आएगी, और महिलाओं के मुद्दे फिर से राष्ट्रीय चर्चा में आ सकेंगे।
कांग्रेस के बड़े नेता भी होंगे सक्रिय
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हाल ही में एक मेडिकल प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी अब बिहार में तीन रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस पार्टी के अन्य प्रमुख नेता जैसे सोनिया गांधी, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, सचिन पायलट और पप्पू यादव भी इस चुनावी दौरे का हिस्सा बनेंगे और प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।
नतीजे 14 नवंबर को, महागठबंधन का लक्ष्य मुख्यमंत्री पद पर तेजस्वी यादव
बिहार में विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को होंगे, और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया है। कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि गांधी परिवार की सक्रियता से मतदाताओं के बीच उनकी पार्टी की पकड़ मजबूत होगी और गठबंधन को एक अहम बढ़त मिल सकेगी।
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