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Up Kiran, Digital Desk: यह कहानी सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और शिक्षा की शक्ति का जीता-जागता उदाहरण है। तेलंगाना के मनचेरियल जिले के एक छोटे से गाँव से आए एक युवा ने चरवाहे के रूप में अपना बचपन बिताया, लेकिन अपनी लगन और पढ़ाई के प्रति जुनून से अब वह PhD स्कॉलर बन गए हैं।

मनचेरियल जिले के वेमपल्ली गाँव के बोम्माका रवि एक गरीब परिवार से आते हैं। बचपन में, उन्हें स्कूल जाने की बजाय गाय-भैंस चराने के लिए खेतों में जाना पड़ता था। लेकिन उनके अंदर कुछ कर दिखाने की आग हमेशा जलती रही। रवि ने दिन में अपने परिवार का पेट पालने के लिए पशु चराए और रात में या जब भी मौका मिलता, पढ़ाई की।

अपनी गरीबी और सीमित संसाधनों के बावजूद, रवि ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास किए और धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। आज, बोम्माका रवि एक पीएचडी स्कॉलर हैं, जो अपनी मेहनत और लगन से कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

उनकी यह यात्रा दिखाती है कि शिक्षा किसी भी सामाजिक या आर्थिक बाधा से परे है। सही मार्गदर्शन, दृढ़ता और सीखने की इच्छा हो तो कोई भी व्यक्ति अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है। रवि की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल है जो सपनों को पूरा करने का साहस रखते हैं।

यह उपलब्धि केवल रवि की व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह उनके परिवार, गाँव और पूरे तेलंगाना के लिए गर्व का विषय है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें सही अवसर और प्रोत्साहन की आवश्यकता है।

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