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Up Kiran, Digital Desk: जयपुर के शहीद स्मारक पर आमरण अनशन कर रहे नरेश मीणा का रविवार को एक अप्रत्याशित रूप सामने आया। जहां उम्मीद थी कि यह आंदोलन शांति और अनुशासन का प्रतीक बनेगा, वहीं मीणा का अपने ही साथियों पर हाथ उठाना आम जनता के बीच सवाल खड़े कर गया है।

छांव में बैठे समर्थकों पर बरसे थप्पड़ और लात

तीन दिन से झालावाड़ स्कूल दुर्घटना के पीड़ित परिवारों के लिए भूख हड़ताल कर रहे मीणा रविवार को स्मारक पर अकेले बैठे थे। चंद समर्थक पास के पेड़ की छांव में जाकर बैठ गए। जब उन्होंने बार-बार बुलाने पर भी प्रतिक्रिया नहीं दी, तो मीणा खुद उनके पास पहुंचे और गुस्से में कई कार्यकर्ताओं पर लात-घूंसे और थप्पड़ों की बरसात कर दी। यह सब वहां मौजूद लोगों के सामने हुआ, जिससे माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया।

यही मेरा अंदाज है— मीणा का बयान

घटना के बाद जब मीणा से सवाल किया गया, तो उन्होंने किसी पछतावे के बजाय साफ कहा, “मैंने कई बार बुलाया, पर वे नहीं उठे। ऐसे में मैंने चांटे और लात मारे। मैं ऐसे ही काम करता हूं।”

उनका यह बयान जितना स्पष्ट था, उतना ही चौंकाने वाला भी। आमतौर पर आंदोलनों में संयम और नेतृत्व का धैर्य देखा जाता है, लेकिन मीणा ने अपनी शैली को अलग बताते हुए इसे जायज़ ठहराया।