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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने एक बार फिर इस बात को उजागर कर दिया है कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचा अभी भी पूरी तरह सक्रिय और मजबूत है। इस हमले के बाद वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण शिविर, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के लॉन्च पैड और आंतरिक इलाकों में मौजूद ठिकाने अभी भी चालू हैं।
लश्कर, जैश जैसे संगठन अभी भी सक्रिय
सैन्य सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान और पीओके में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी), अल बद्र जैसे आतंकी संगठन अब भी खुलेआम काम कर रहे हैं। इनके पीछे एक संगठित नेटवर्क है जिसमें जिहादी मदरसे और उनके नेटवर्क शामिल हैं। ये सभी संगठन भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए समय-समय पर नई रणनीतियां बना रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख का विवादास्पद बयान
इस हमले से ठीक पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर को लेकर एक बयान दिया था, जो भारत विरोधी भावना को खुलकर दर्शाता है। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की "गले की नस" बताया और कहा कि यह स्थिति पहले भी थी और आगे भी रहेगी। भारत ने इस बयान को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे भड़काऊ और आधारहीन करार दिया।
घुसपैठ की कोशिशें अब नए रास्तों से
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अब आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में दाखिल होने के लिए पारंपरिक रास्तों की बजाय नए और अप्रत्याशित मार्गों का सहारा ले रहे हैं। एलओसी पर कड़ी चौकसी और मजबूत एंटी-इनफिल्ट्रेशन ग्रिड ने पारंपरिक घुसपैठ के रास्तों को लगभग बंद कर दिया है। पिछले साल की बात करें तो दस से अधिक घुसपैठ की कोशिशें नाकाम की गईं, जिनमें 25 आतंकवादी मारे गए थे।
पहलगाम में सुरक्षा की सीमाएं
हालांकि पहलगाम एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, लेकिन यहां सेना की बड़ी तैनाती नहीं है। इस क्षेत्र की सुरक्षा मुख्यतः विशेष आतंकवाद-रोधी बल ‘राष्ट्रीय राइफल्स’ की इकाइयों पर निर्भर करती है। हमले के बाद इन्हीं बलों ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए अपनी टुकड़ियां घटनास्थल की ओर रवाना कीं।
वैश्विक ध्यान खींचने की कोशिश
विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला केवल जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करना और वैश्विक मीडिया का ध्यान खींचना भी है। यह हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा के समय पर किया गया, जो इसकी योजना और उद्देश्य को स्पष्ट करता है।
आतंकियों की बड़ी साजिश का संकेत
अधिकारियों का मानना है कि पिछले दो वर्षों में जब भारतीय सुरक्षा बलों ने 144 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया, तब से आतंकी संगठन किसी बड़े हमले की फिराक में थे। घाटी में हाल के वर्षों में पर्यटन में जबरदस्त उछाल आया है—पिछले साल करीब 30 लाख पर्यटक यहां आए। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन इस स्थायित्व और सामान्यता से परेशान हैं और इसे बाधित करना चाहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में हालिया हमला एक बार फिर चेतावनी देता है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है। आतंकियों की यह साजिश न सिर्फ भारत की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए भी खतरा है। सुरक्षा एजेंसियों को अब और भी सतर्क रहना होगा, खासकर उन इलाकों में जहां पारंपरिक सुरक्षा तैनाती कम है।