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Up Kiran, Digital Desk: केरल (Kerala) के त्रिशूर जिले (Trissur district) के मलक्कप्पारा (Malakkappara) स्थित वीरंकुडी आदिवासी बस्ती (Veerankudy tribal settlement) में शनिवार तड़के एक तेंदुए ने एक चार साल के लड़के (four-year-old boy) पर हमला (leopard attacked) कर दिया, जिसके बाद उसे बचाया गया। बच्चे के पिता, बेबी ने बहादुरी से हस्तक्षेप किया, अपने बेटे राहुल (Rahul) को बचाने के लिए तेंदुए का सामना किया, जिसे सिर में गंभीर चोटें (serious injuries to his head) आईं।

यह हमला शनिवार को सुबह लगभग 2.15 बजे हुआ, जब वे अपनी अस्थायी झोपड़ी (temporary hut) में सो रहे थे। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, तेंदुआ आश्रय में घुस गया और बच्चे को घसीट कर ले जाने लगा। पिता की त्वरित सोच और पत्थर से जानवर का पीछा करने के साहस ने उसे जंगल में पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

राहुल (Rahul) को शुरू में मलक्कप्पारा (Malakkappara) के एक अस्पताल में ले जाया गया, और प्राथमिक उपचार (first aid) के बाद उसे चलाकुडी तालुक अस्पताल (Chalakkudy Taluk Hospital) ले जाया गया। चूंकि चोट गंभीर थी, उसे सर्जरी (surgery) के लिए त्रिशूर (Thrissur) के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Government Medical College Hospital) ले जाया गया। दिलचस्प बात यह है कि जब तेंदुआ झोपड़ी में घुसा और राहुल को घसीट कर ले गया, तब युगल की दो साल की बेटी भी उनके पास सो रही थी। वन अधिकारियों (Forest officials) ने दावा किया कि हमले के बाद तेंदुआ फिर से झोपड़ी के पास पहुंच गया था। त्रिशूर के कलेक्टर अर्जुन पांडियन (Trissur Collector Arjun Pandian) ने परिवार से मिलकर उन्हें सरकार के समर्थन (government's support) का आश्वासन दिया।

राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष: एक बढ़ती चिंता (Human-Wildlife Conflict in the State: A Growing Concern)

यह राज्य में इसी तरह के हमलों (series of similar attacks) की एक श्रृंखला में नवीनतम घटना है, विशेष रूप से घने जंगलों (dense forests) और बागानों (plantations) से सटे क्षेत्रों में।केरल में मानव-वन्यजीव संघर्ष (human-wildlife conflict) एक गंभीर और बढ़ती समस्या बन गई है, जिसमें 2016-17 से 2024-25 तक 919 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 8,967 अन्य घायल हुए हैं।

पिछली घटनाएं: अक्टूबर 2024 में, केरल-तमिलनाडु (Kerala-Tamil Nadu) सीमा के पास वालपरई चाय बागान (Valparai tea estate) में एक छह साल की लड़की को एक तेंदुए ने मार डाला था। उसी वर्ष, उत्तरी केरल (northern Kerala) के कासरगोड (Kasaragod) के कोलाथुर (Kolathur) में गांवों में आतंक फैलाने वाले एक नर तेंदुए को वन अधिकारियों ने फंसाया था, जहां वह पालतू जानवरों और पशुधन (pets and livestock) का शिकार कर रहा था।  इससे पहले, अप्रैल 2023 में, मलक्कप्पारा (Malakkappara) में ही एक पांच साल का लड़का तेंदुए के हमले में घायल हो गया था।

डर और मांग: बढ़ती घटनाओं, जिनमें घातक हमले भी शामिल हैं, ने निवासियों के बीच डर (sense of fear) पैदा कर दिया है, जो अधिकारियों से ठोस कार्रवाई (concrete action) की मांग कर रहे हैं।

सरकारी प्रतिक्रिया और आगे के कदम (Government Response and Future Steps):

इस संकट के जवाब में, केरल वन विभाग (Kerala Forest Department) ने एक 10-सूत्रीय कार्य योजना (10-point action plan) शुरू की है, जिसमें रैपिड रिस्पांस टीमों (Rapid Response Teams) का गठन और जानवरों की गतिविधियों (animal movements) को ट्रैक करने के लिए एक वास्तविक समय निगरानी प्रणाली (real-time monitoring system) का कार्यान्वयन शामिल है। 

सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष (human-wildlife conflict) को "राज्य-विशिष्ट आपदा" (State Specific Disaster) घोषित किया है यह एक ऐसा कदम है जिससे प्रशासनिक प्रतिक्रियाओं (administrative responses) और पीड़ितों के लिए मुआवजे (compensation for victims) में तेजी आने की उम्मीद है। मृत्यु होने पर ₹10 लाख का मुआवजा और 40-50% स्थायी विकलांगता पर ₹2 लाख तक का मुआवजा दिया जाता है।

मलक्कप्पारा (Malakkappara) में 47 आदिवासी परिवारों (47 tribal families) का चल रहा पुनर्वास (resettlement), एक ऐसा क्षेत्र जो ऐसे हमलों के लिए प्रवण है, इन कमजोर समुदायों की लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा चिंताओं (long-standing safety concerns) को कम करने की दिशा में एक और कदम है। यह समग्र दृष्टिकोण मानव जीवन की सुरक्षा और वन्यजीवों के संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है।

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