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पाकिस्तान अब उसी आतंकी समस्या से जूझ रहा है, जिसका सामना उसने वर्षों तक अपने पड़ोसी देशों को करने पर मजबूर किया, खासकर भारत को। हाल के महीनों में पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। बलूचिस्तान में हुई जाफर एक्सप्रेस ट्रेन की हाईजैकिंग इस बदलते हालात का बड़ा उदाहरण है। अब पाकिस्तान खुद को आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने और ऑपरेशनों के ज़रिए जवाब देने की स्थिति में दिखा रहा है।
उत्तरी वजीरिस्तान में सेना का बड़ा एक्शन
ताजा मामला अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वजीरिस्तान जिले से सामने आया है, जहां पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकियों पर सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में आठ आतंकी मारे गए, जबकि चार अन्य घायल हुए हैं।
सेना की ओर से क्या कहा गया?
सेना के मीडिया विभाग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने बताया कि उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के एक समूह को देखा जो सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे। मुठभेड़ में आठ आतंकी मारे गए और चार घायल हुए। ISPR ने इन आतंकियों को "खवारिज" कहा, जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।
अफगान सरकार पर जिम्मेदारी डाल रहा पाकिस्तान
पाकिस्तानी सेना का कहना है कि वह लगातार अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार से सीमा प्रबंधन को मजबूत करने की मांग कर रही है। ISPR ने बयान में कहा, “हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पहले भी हुई हैं कई कार्रवाइयां
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी सेना ने सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है। मार्च के अंत में भी सेना ने एक ऑपरेशन के तहत 16 आतंकियों को मार गिराया था। इसके कुछ ही दिन बाद खैबर पख्तूनख्वा में चार अलग-अलग मुठभेड़ों में 11 आतंकी मारे गए थे।
बढ़ती आतंकी घटनाएं, चिंता का विषय
पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से ये घटनाएं चिंता बढ़ा रही हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति पाकिस्तान की उन नीतियों का परिणाम है, जिनमें वह वर्षों तक आतंकियों को सीधे या परोक्ष रूप से संरक्षण देता रहा। अब वही आतंकी समूह पाकिस्तान की सीमाओं और संस्थानों को चुनौती दे रहे हैं।
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