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Up Kiran, Digital Desk: भारत की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) ने अपने आतंकी ठिकानों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से हटाकर खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। यह बदलाव भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आया है, जिसमें आतंकियों के कई ठिकानों को सटीक मिसाइल हमलों से तबाह किया गया था।

क्यों छोड़ा PoK? क्या है नई रणनीति?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आतंकियों की एक सोची-समझी रणनीति है। PoK अब भारतीय सेना के लिए एक आसान टारगेट बन चुका है। वहीं KPK की भौगोलिक स्थिति उन्हें अफगान सीमा के पास छिपने, पुनर्गठन करने और हमलों की योजना बनाने में मदद करती है।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत की Surgical Strike 2.0?

7 मई को लॉन्च किया गया यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के जवाब में था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारत ने इस बार ना सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि नागरिक या सैन्य ढांचे को नुकसान ना पहुंचे। यह भारत की सटीक और सीमित जवाबी कार्रवाई की नई नीति को दर्शाता है।

पाकिस्तान सरकार की चुप्पी या समर्थन?

भारत की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया और पुलिस एजेंसियां इन आतंकवादी समूहों को न केवल जानती हैं, बल्कि मौन समर्थन भी देती हैं। एक उदाहरण 14 सितंबर को केपीके के मनसेहरा में आयोजित जैश की भर्ती रैली है, जहाँ मौलाना मसूद अजहर के करीबी मुफ्ती मसूद इलियास कश्मीरी ने पुलिस की सुरक्षा में भाषण दिया।

भारत के लिए नई चुनौती

भारत के लिए यह एक नई और गंभीर चुनौती बन रही है। बदलते भूगोल के साथ-साथ आतंकवाद के रूप भी बदल रहे हैं। PoK से KPK में शिफ्ट हुआ यह नेटवर्क अब भारत की सुरक्षा नीति के लिए एक नई दिशा तय करेगा।

क्या कहती हैं एजेंसियाँ?

भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि आतंकवाद का मुकाबला अब सीमाओं के पार की नई रणनीतियों के साथ करना होगा। यह स्पष्ट है कि भारत को अब KPK में मौजूद आतंकी ढांचों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।