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Up Kiran, Digital Desk: दुनिया भर में राजनीति और संवैधानिक प्रक्रियाओं के बीच कभी-कभी ऐसे नाटकीय मोड़ आते हैं जो सबको चौंका देते हैं। हाल ही में थाईलैंड में ऐसा ही एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने न केवल वहां की राजनीति को बल्कि पूरे क्षेत्र के राजनयिक समीकरणों को प्रभावित किया है।

थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा को उनके पद से निलंबित कर दिया गया है। यह कदम वहां की संवैधानिक अदालत ने मंगलवार को सुनाया, जो कि कंबोडिया के साथ जारी राजनयिक विवाद के बाद उठाया गया एक ऐतिहासिक फैसला है। अदालत ने नैतिकता के उल्लंघन से जुड़ी याचिका की सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया, जिसमें प्रधानमंत्री के खिलाफ 7-2 के मत से ड्यूटी से निलंबन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तहत 1 जुलाई से शिनावात्रा को अपने पद से हटा दिया गया है, जब तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं आता।

यहां यह समझना जरूरी है कि किसी देश के प्रधानमंत्री को पदभार संभाले हुए निलंबित करना कितना गंभीर मामला होता है। इससे जुड़ी प्रक्रिया और कानूनी प्रावधान हर देश के संवैधानिक ढांचे पर निर्भर करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में भी प्रधानमंत्री को इस तरह निलंबित किया जा सकता है?

क्या भारत में ऐसा कुछ संभव है

भारत में प्रधानमंत्री का कार्यकाल सीधे तौर पर पांच वर्षों का होता है, हालांकि कोई सीमित अवधि तय नहीं है कि एक व्यक्ति कितनी बार या कितने समय तक प्रधानमंत्री रह सकता है। प्रधानमंत्री तभी पद पर बने रहते हैं जब तक उन्हें राष्ट्रपति का विश्वास और लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है। यदि लोकसभा में विश्वास का मत खो जाता है, तो प्रधानमंत्री का कार्यकाल समाप्त हो जाता है।

लेकिन भारत में प्रधानमंत्री को निलंबित करने का कोई प्रावधान मौजूद नहीं है। यदि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है या प्रधानमंत्री की संसद सदस्यता समाप्त हो जाती है, तो वे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इसे छोड़कर प्रधानमंत्री को अस्थायी रूप से निलंबित करने का कोई वैधानिक तरीका नहीं है।

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