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Up Kiran,Digitl Desk: राजस्थान के जैसलमेर से एक ऐसी दर्दनाक और भयावह खबर सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मंगलवार की रात, एक बिल्कुल नई-नवेली स्लीपर बस देखते ही देखते आग के गोले में तब्दील हो गई, और इसमें सो रहे कई यात्री जिंदा जल गए। यह बस सफर के लिए नहीं, बल्कि यात्रियों के लिए 'मौत का जाल' साबित हुई।

यह घटना उन अनगिनत सवालों को जन्म देती है कि कैसे एक लग्जरी और आरामदायक सफर का वादा करने वाली बस, एक चलती-फिरती कब्रगाह बन गई।

क्या हुआ था उस भयावह रात को: यह स्लीपर कोच बस अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी। ज्यादातर यात्री अपनी बर्थ पर सो रहे थे। तभी अचानक बस के एक हिस्से में आग की लपटें उठने लगीं। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया।

क्यों बन गई बस ‘मौत का जाल’: इस हादसे की सबसे भयावह बात यह है कि यात्रियों को बस से बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। इसके पीछे कई दिल दहला देने वाली वजहें बताई जा रही हैं:

तेजी से फैली आग: बसों, खासकर स्लीपर कोच में लगे पर्दे, फोम की सीटें और कंबल जैसे सामान बहुत तेजी से आग पकड़ते हैं। आग ने इतनी तेजी से बस को घेरा कि सो रहे यात्रियों को反应 करने का समय ही नहीं मिला।

सकरा रास्ता और एक ही दरवाजा: स्लीपर बसों में दोनों तरफ बर्थ होने के कारण बीच का गलियारा (Aisle) बहुत सकरा होता है। जब आग लगी और भगदड़ मची, तो सभी लोग एक ही दरवाजे की ओर भागे, जिससे वहां जाम लग गया और कोई बाहर नहीं निकल सका।

इमरजेंसी गेट का न होना: सबसे बड़ा सवाल बस के सेफ्टी फीचर्स पर उठ रहा है। क्या बस में इमरजेंसी एग्जिट था? और अगर था, तो क्या वह काम कर रहा था? ज्यादातर मामलों में, यात्रियों को पता ही नहीं होता कि इमरजेंसी गेट कहां है या उसे कैसे खोलना है।

घुटन और धुआं: आग से ज्यादा खतरनाक उसका जहरीला धुआं होता है। कई यात्रियों की मौत जलने से पहले दम घुटने से ही हो गई होगी, जिससे वे भागने की कोशिश भी नहीं कर पाए।

एक बिल्कुल नई बस का इस तरह जलकर राख हो जाना, यह न केवल एक दर्दनाक हादसा है, बल्कि यह हमारे देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के सुरक्षा मानकों पर एक बहुत बड़ा और गंभीर सवालिया निशान भी है। यह घटना एक चेतावनी है कि जब तक बसों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, जैसे फायर अलार्म, একাধিক इमरजेंसी गेट और आग न पकड़ने वाले मैटेरियल का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं किया जाता, तब तक इस तरह के 'मौतों के जाल' सड़कों पर दौड़ते रहेंगे।