
Up Kiran, Digital Desk: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र (UN) को आईना दिखाते हुए कहा है कि अगर दुनिया की इस सबसे बड़ी संस्था में जल्द ही बड़े सुधार नहीं किए गए, तो यह अपना विश्वास खो देगी. दिल्ली में दुनिया भर के देशों के सेना प्रमुखों के एक कार्यक्रम में उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "हम आज की चुनौतियों से पुरानी पड़ चुकी व्यवस्थाओं के साथ नहीं लड़ सकते."
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की दुनिया आपस में जुड़ी हुई है और हमें एक ऐसे सुधरे हुए बहुपक्षवाद की जरूरत है जो आज की हकीकत को दर्शाए, जिसमें सभी की आवाज सुनी जाए और जो इंसानों की भलाई पर ध्यान केंद्रित करे.
"भारत सिर्फ सुधार मांग नहीं रहा, रास्ता भी दिखा रहा है"
राजनाथ सिंह ने याद दिलाया कि भारत हमेशा से संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाला देश रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे पास दूसरे देशों के शांति सैनिकों को ट्रेनिंग देने और उनके साथ मिलकर काम करने की पूरी काबिलियत है."
रक्षा मंत्री ने 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का जिक्र करते हुए बताया कि भारत ने कम लागत वाली स्वदेशी तकनीकें विकसित की हैं, जो शांति मिशनों को मजबूत करती हैं. इनमें सुरक्षित संचार प्रणाली, निगरानी ड्रोन, गाड़ियां और मेडिकल सहायता जैसी चीजें शामिल हैं.
मिसाल हैं भारत की महिला शांति सैनिक
राजनाथ सिंह ने गर्व से बताया कि भारत महिला शांति सैनिकों को बढ़ावा देने में हमेशा आगे रहा है. उन्होंने कहा, "2007 में लाइबेरिया में तैनात हमारी सभी महिलाओं वाली पुलिस यूनिट दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गई. उनकी लगन और सेवा भाव ने लाइबेरिया की महिलाओं को अपनी राष्ट्रीय पुलिस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया."
आज भी, भारतीय महिला अधिकारी दक्षिण सूडान से लेकर लेबनान तक शांति मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. वे गश्त का नेतृत्व करती हैं, स्थानीय समुदायों से जुड़ती हैं और महिलाओं और युवाओं को प्रेरित करती हैं. हाल ही में, कांगो में सेवा के लिए एक भारतीय महिला शांति सैनिक को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिष्ठित 'मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.