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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय राजनीति में कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं। आजकल उनकी चर्चा सिर्फ उनके राजनीतिक फैसलों या बयानबाज़ी को लेकर नहीं हो रही है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से जोड़कर भी देखी जा रही है। जब हाल ही में उनसे नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से जुड़ा एक सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बहुत ही विचारशील और सीधा जवाब दिया।

अपने बयान में राहुल गांधी ने खुद की व्यक्तिगत भूमिका से ज्यादा लोकसभा नेता प्रतिपक्ष (LoP) की संस्थागत जिम्मेदारी पर ज़ोर दिया।

पुरस्कार से ज्यादा बड़ी है ये लड़ाई: राहुल गांधी का स्पष्ट रूप से यह मानना है कि नोबेल शांति पुरस्कार एक बड़ा सम्मान ज़रूर है, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी आज के समय में भारतीय संविधान (Indian Constitution) को बचाने की लड़ाई है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए यह साफ़ किया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि देश का मूलभूत संविधान हर हाल में बचा रहे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि: यह बात उन चर्चाओं को एक नई दिशा देती है, जिसमें उनकी व्यक्तिगत भूमिका और भविष्य की रणनीति को लेकर बहस चल रही है।

संविधान को बचाने का संकल्प: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अनुसार, आज भारतीय लोकतंत्र (Democracy) के सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं और ऐसे में विपक्ष की यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि वह सरकार की मनमानी पर लगाम लगाए और देश के सभी नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करे।

इस बयान से राहुल गांधी ने न केवल अपने आलोचकों को जवाब दिया, बल्कि विपक्ष के सबसे बड़े नेता के रूप में अपने उस कर्तव्य को भी सामने रखा, जिसका जिक्र भारतीय संविधान की आत्मा में बसा है। उन्होंने नोबेल से जुड़े किसी भी व्यक्तिगत दावे को महत्व न देकर, देश और संविधान की रक्षा को सर्वोपरि बताया है।