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Up Kiran, Digital Desk: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, तनाव, नींद की कमी, और सेहत से जुड़ी दूसरी परेशानियाँ आम हो गई हैं। ऐसे में, बहुत से लोग आयुर्वेद की तरफ देख रहे हैं, जो हमें एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली जीने का रास्ता दिखाता है। आयुर्वेद सिर्फ बीमारियों का इलाज नहीं है, बल्कि यह हमें सिखाता है कि हम अपने शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन कैसे बनाए रख सकते हैं।

प्राचीन ज्ञान, आधुनिक जीवनशैली के लिए

आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में स्वस्थ रहना एक चुनौती है। आयुर्वेद हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर एक अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। सुबह जल्दी उठना, योग और ध्यान करना, सात्विक भोजन करना, और बादाम जैसे पौष्टिक आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना कुछ ऐसी आदतें हैं, जो हमें आज की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देती हैं।

सुबह जल्दी उठने के फायदे

आयुर्वेद में सूर्योदय से लगभग एक घंटा पहले, यानी 'ब्रह्म मुहूर्त' में जागने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से उम्र लंबी होती है और बीमारियाँ दूर रहती हैं। इससे दिन की शुरुआत भी अच्छी और ताजगी भरी होती है, और हमें अपने कामों को बेहतर ढंग से करने की प्रेरणा मिलती है।

सादा और पौष्टिक भोजन: आयुर्वेद में भोजन को दवा माना गया है। इसमें ताजे फल, सब्जियां, अनाज, और बादाम जैसे मेवे खाने पर जोर दिया जाता है, जिनमें भरपूर जीवन शक्ति होती है। आज के समय में मिलने वाले प्रोसेस्ड और रेडी-टू-ईट फूड्स को शरीर के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए, पहले से ही अपने भोजन की योजना बनाना और ऐसी चीजें खाना जो बनाने में आसान और शरीर के लिए पौष्टिक हों, बहुत जरूरी है। जैसे, अपने साथ कटे हुए फल या मुट्ठी भर बादाम रखना एक अच्छा विकल्प है। बादाम न केवल शरीर को मजबूत बनाते हैं बल्कि त्वचा के लिए भी फायदेमंद होते हैं और शरीर के दोषों को संतुलित करने में मदद करते हैं, खासकर जब उन्हें रात भर भिगोकर सुबह खाया जाए।

योग और ध्यान का महत्व: आज की तनाव भरी जिंदगी में योग और ध्यान का महत्व और भी बढ़ गया है। नियमित रूप से योग करने से चिंता कम होती है, शरीर में लचीलापन और ताकत बढ़ती है, और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। योग और ध्यान साथ में करने से मन शांत रहता है और हम अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।

अपनी प्रकृति को समझें:आयुर्वेद की एक खास बात यह है कि यह हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और प्रकृति के अनुसार अलग-अलग सलाह देता है। आयुर्वेद में तीन तरह के दोष होते हैं - वात, पित्त और कफ। अपनी प्रकृति को समझकर, हम अपने खान-पान और दिनचर्या में ऐसे बदलाव कर सकते हैं, जिससे हमारा शरीर संतुलित रहे।

अच्छी नींद है जरूरी: अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। आजकल नींद न आना एक आम समस्या बन गई है। आयुर्वेद में अच्छी नींद के लिए कुछ आसान उपाय बताए गए हैं, जैसे कि सोने और जागने का एक निश्चित समय बनाना, रात को गर्म दूध पीना, और सोने से पहले ध्यान करना। ये आदतें मन को शांत करने और गहरी नींद लाने में मदद करती हैं।