
Up Kiran, Digital Desk: जम्मू संभाग के लोगों ने पिछले कुछ दिनों से बाढ़ और बारिश का जो खौफनाक मंजर देखा है, वह धीरे-धीरे कम हो रहा है। राहत की खबर यह है कि चिनाब, तवी, उज्ज और बसंतर जैसी उफनती नदियों का जलस्तर अब खतरे के निशान से नीचे आ गया है और बाढ़ का पानी प्रभावित इलाकों से उतरना शुरू हो गया है।
लेकिन पानी तो उतर रहा है, पीछे रह गए हैं बर्बादी, कीचड़ और मायूसी के निशान। बाढ़ ने हजारों लोगों की जिंदगी भर की कमाई और उनके घरों को तबाह कर दिया है।
जारी है 'ऑपरेशन जिंदगी'
खाना और पानी: प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों तक लगातार खाने के पैकेट, पीने का साफ पानी और दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं।
सुरक्षित स्थानों पर शिफ्टिंग: जिन लोगों के घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं या अभी भी खतरनाक स्थिति में हैं, उन्हें सुरक्षित सरकारी शेल्टरों और राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है।
सफाई और बहाली का काम: प्रशासन अब पानी उतरने के बाद बीमारियों को फैलने से रोकने और सड़कों, बिजली और पानी की लाइनों को ठीक करने के काम में जुट गया है, जो एक बड़ी चुनौती है।
पानी कम होते ही भारतीय सेना, SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने राहत और बचाव कार्यों को और तेज कर दिया है। ये जवान 'देवदूत' बनकर बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं।
कठुआ, सांबा और जम्मू के निचले इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। हालांकि बाढ़ का खतरा कम हो गया है, लेकिन लोगों की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। उन्हें अपने टूटे हुए घरों और बर्बाद हुई फसलों को देखकर भविष्य की चिंता सता रही है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि नुकसान का आकलन कर प्रभावित लोगों को हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।