
Up Kiran, Digital Desk: अगर आप शेयर बाज़ार पर थोड़ी भी नज़र रखते हैं, तो आपने एक शब्द बहुत ज़्यादा सुना होगा - IPO (आईपीओ)। जब कोई कंपनी पहली बार अपने हिस्से (शेयर) आम जनता को खरीदने के लिए बेचती है, तो उसे IPO कहते हैं। और इस साल, भारतीय बाज़ार में IPO की जैसे बाढ़ सी आ गई है।
ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि इस साल के पहले छह महीनों में ही भारत के शेयर बाज़ार ने 28 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह दिखाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कंपनियों और निवेशकों का भरोसा कितना मज़बूत हुआ है।
1. बड़ी कंपनियों (मेनबोर्ड) का जलवा:
जो बड़ी और जानी-मानी कंपनियां होती हैं, जब वे अपना IPO लाती हैं तो उसे मेनबोर्ड IPO कहा जाता है। इस साल इन बड़ी कंपनियों ने IPO के ज़रिए बाज़ार से जितना पैसा उठाया है, वैसा पिछले 28 सालों में साल की पहली छमाही में कभी नहीं देखा गया। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
2. छोटी कंपनियों (SME) ने रचा नया इतिहास:
असली कमाल तो छोटी और मझोली कंपनियों (SME) ने कर दिखाया है। इन उभरती हुई कंपनियों ने तो पिछले सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं। इस साल जितने SME IPO आए हैं, उतने पहले कभी नहीं आए। यह दिखाता है कि अब सिर्फ बड़ी ही नहीं, बल्कि छोटी कंपनियां भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए शेयर बाज़ार का रास्ता अपना रही हैं।
लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है?इस IPO बूम के पीछे कुछ बड़ी और सीधी वजहें हैं:
मज़बूत अर्थव्यवस्था: भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है। जब देश तरक्की करता है, तो कंपनियां भी आगे बढ़ती हैं और उन्हें अपना व्यापार फैलाने के लिए पैसे की ज़रूरत पड़ती है, जो वे IPO से जुटाती हैं।
निवेशकों का भरोसा: आम लोगों से लेकर बड़े निवेशकों तक, हर कोई भारतीय बाज़ार में पैसा लगाने को लेकर बहुत उत्साहित है। उन्हें यकीन है कि यहां लगाया गया पैसा उन्हें अच्छा मुनाफ़ा देगा।
बाज़ार में पैसों की भरमार: बाज़ार में इस वक्त काफी पैसा है, और निवेशक अच्छे मौकों की तलाश में हैं। IPO उन्हें नई और उभरती हुई कंपनियों में निवेश करने का सीधा मौका देते हैं।
यह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है। यह इस बात का सबूत है कि भारत दुनिया के लिए एक भरोसेमंद निवेश की जगह बन चुका है। जब ज़्यादा कंपनियां बाज़ार में आती हैं, तो वे व्यापार बढ़ाती हैं, जिससे नई नौकरियां पैदा होती हैं और देश की तरक्की को और रफ़्तार मिलती है। यह हम सभी के लिए एक अच्छी ख़बर है।