
Up Kiran, Digital Desk: आजकल भारत में ऑनलाइन जुए (online gambling) को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है। खबरें आ रही हैं कि सरकार इसे पूरी तरह से बैन करने या फिर इस पर कड़े नियम लागू करने की सोच रही है। सरकार की चिंताएं साफ हैं – जुए की बढ़ती लत, लोगों का पैसा डूबना और ऐसे कामों में गैर-कानूनी गतिविधियों का बढ़ता ख़तरा। लेकिन, इस सब के बीच, भारत का गेमिंग और जुआ इंडस्ट्री सरकार के इस कदम से बिल्कुल भी खुश नहीं है और उन्होंने इसका पुरज़ोर विरोध करना शुरू कर दिया है।
सरकार की चिंताएं: क्यों हो रहा है जुए पर 'बैंग' की बात?
सरकार का कहना है कि जुए की लत एक गंभीर सामाजिक समस्या बनती जा रही है। खासकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर, जहाँ लोग आसानी से अपना पैसा गंवा रहे हैं। इसके अलावा, इस इंडस्ट्री में मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) और अन्य धोखाधड़ी के मामले भी सामने आ सकते हैं। सरकार चाहती है कि आम जनता, खासकर युवा और ज़रूरतमंद लोग, इन सब से सुरक्षित रहें।
इंडस्ट्री का पलटवार: 'बैन से ज़्यादा रेगुलेशन बेहतर है!'
वहीं, इंडस्ट्री वाले इस विचार से बिलकुल इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते। उनका तर्क है कि अगर जुए पर पूरी तरह बैन लगाया गया, तो अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा।
आर्थिक नुकसान: यह इंडस्ट्री करोड़ों का बिज़नेस करती है और सरकार को अच्छा-खासा टैक्स (tax) भी देती है। अगर यह बैन हुआ, तो सरकार को टैक्स से होने वाली आमदनी का नुकसान होगा।
नौकरियों पर असर: गेमिंग और जुआ इंडस्ट्री में लाखों लोग काम करते हैं। बैन लगने से बेरोज़गारी (unemployment) बढ़ सकती है।
'स्किल गेम्स' का सवाल: इंडस्ट्री का एक बड़ा तर्क यह है कि कई गेम, जैसे रमी (rummy) या फैंटेसी स्पोर्ट्स (fantasy sports), को 'स्किल-बेस्ड' माना जाता है, न कि 'चांस-बेस्ड' (जहाँ किस्मत का खेल हो)। इन पर बैन लगाना सही नहीं होगा, खासकर जब इन्हें पहले से ही कुछ राज्यों में रेगुलेट किया जा रहा है।
'ब्लैक मार्केट' का खतरा: उनका कहना है कि बैन करने से जुआ बंद नहीं होगा, बल्कि यह अवैध (unregulated) हो जाएगा। तब इसे कंट्रोल करना और भी मुश्किल होगा और लोग छिपकर जुआ खेलेंगे।
इंडस्ट्री की मांग: 'बैन नहीं, नियम-कानून चाहिए!'
इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों की मांग है कि सरकार जुए को बैन करने के बजाय, इसके लिए स्पष्ट नियम और कायदे-कानून बनाए। उनका मानना है कि सही लाइसेंसिंग, टैक्स व्यवस्था और कड़ी निगरानी से जुए से जुड़े खतरों को कम किया जा सकता है, जबकि इसके आर्थिक फायदों को भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह साफ है कि सरकार और इंडस्ट्री के बीच इस मुद्दे पर एक बड़ा टकराव देखने को मिल रहा है। सरकार जहाँ सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है, वहीं इंडस्ट्री आर्थिक पहलू पर ज़ोर दे रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार क्या फैसला लेती है और भारत में जुए का भविष्य क्या होता है।
--Advertisement--