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राजस्थान में विधानसभा इलेक्शन को लेकर मतदान तो हो चुके हैं, मगर अब इंतजार है परिणामों का जो कि 3 दिसंबर को आने ही वाले हैं। 25 नवंबर को हुए मतदान के आंकड़ों में जिस तरह से वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है उससे बीजेपी को सत्ता में वापसी की आस नजर आने लगी है।

दरअसल 2023 के आए मतदान प्रतिशत में 0.73 % की बढ़ोतरी हुई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 74.06 % मतदान रहा था, जो 2013 के मुकाबले एक फीसदी कम था। इस चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें तो बीजेपी को 73 सीटें मिली थी। एक % कम मतदान होने का फायदा सीधा सीधा कांग्रेस को मिला था और अब बीजेपी को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी।

अगर बात 1998 के विधानसभा चुनाव से की जाए तो 1998 के चुनाव में 63.39 % वोटिंग हुई थी, जिसमें 153 सीटें कांग्रेस और 33 सीटें बीजेपी ने जीती थी। दो हज़ार तीन के चुनाव में 67.3 % मतदान हुआ जो पिछले चुनाव के मुकाबले चार % ज्यादा था। इस चुनाव में बीजेपी 120 सीटें तो कांग्रेस को 56 सीटें मिली थी। चार % वोट ज्यादा पड़ने का लाभ सीधा सीधा बीजेपी को मिला था और फिर पांच साल के बाद दो हज़ार 8 में राजस्थान विधानसभा चुनाव हुआ तो 66.25 % मतदान रहा जो दो हज़ार तीन के चुनाव के मुकाबले एक % कम था।

बीजेपी 68 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस को 96 सीटें मिली थी। इस तरह से एक % कम होने का फायदा सीधा सीधा कांग्रेस को मिला था। इसके बाद दो हज़ार 13 के विधानसभा चुनाव हुए तो 45.04 % वोटिंग हुई जो कि दो हज़ार आठ के मुकाबले नौ % ज्यादा वोटिंग थी। इस चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें मिली तो कांग्रेस 21 सीटों पर ही सिमट गई थी और अब दो हज़ार 13 के विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 75.45 रहा जो कि पिछले चुनाव से 0.73 % ज्यादा है।

यानी दो हज़ार 23 में मतदान के आंकड़ों में हुई बढ़ोतरी के सहारे बीजेपी परिवर्तन की आस लगाए बैठी है। अब परिवर्तन होगा या कांग्रेस की सत्ता रिपीट होगी, इसका फैसला तो 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों के बाद ही होगा। फिलहाल राजस्थान के 20 सालों के परिवर्तन की आस के साथ ही वोटिंग प्रतिशत में हुई बढ़ोतरी के सहारे बीजेपी को सत्ता में वापसी की उम्मीद भरपूर है।

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