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Up Kiran, Digital Desk: उड़ीसा के नव नियुक्त मुख्यमंत्री मोहन माझी ने धार्मिक स्थलों और 'धामों' (पवित्र तीर्थ स्थलों) के महत्व पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा है कि इन स्थानों का निर्माण या उनका अस्तित्व मूल रूप से लोगों की आस्था और श्रद्धा पर आधारित होता है।

मुख्यमंत्री माझी ने इस बात पर जोर दिया कि 'धाम' केवल भौतिक संरचनाएं नहीं हैं, बल्कि ये ऐसे केंद्र हैं जहाँ करोड़ों लोगों की गहरी आस्था जुड़ी होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी पवित्र स्थल या धाम का महत्व उसके प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा और विश्वास से ही आता है।

उनका यह बयान धार्मिक स्थलों के प्रति राज्य सरकार के दृष्टिकोण और उनकी महत्ता को रेखांकित करता है। यह दर्शाता है कि सरकार इन स्थानों को केवल पर्यटन या विकास के नज़रिए से ही नहीं, बल्कि उनके मूल स्वरूप, यानी लोगों की आस्था के केंद्रों के रूप में देखती है।

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में 'धामों' का विशेष स्थान है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को आध्यात्मिक प्रेरणा देते रहे हैं। मुख्यमंत्री का यह कथन इन पवित्र स्थलों के पीछे की भावना और उनके अस्तित्व के मूल आधार, यानी जनमानस की श्रद्धा, को मान्यता देता है।

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मुख्यमंत्री मोहन माझी के नेतृत्व में उड़ीसा सरकार राज्य के प्रसिद्ध धामों और धार्मिक स्थलों के संरक्षण, विकास और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में क्या कदम उठाती है, इस मूल भावना को ध्यान में रखते हुए कि इनका आधार लोगों की आस्था है।

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