
Up Kiran, Digital Desk: भारत को अपनी स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने मान्यता दी थी। यह तथ्य कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है, क्योंकि अक्सर सोवियत संघ (USSR) या यूनाइटेड किंगडम (UK) का नाम पहले आता है।
आज़ादी के बाद भारत को पहली मान्यता: अमेरिका का ऐतिहासिक कदम!
15 अगस्त 1947 को जब भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त होकर एक संप्रभु राष्ट्र बना, तो दुनिया भर की नज़रें भारत पर टिकी थीं। किसी भी नए राष्ट्र के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होती है, जो उसे वैश्विक मंच पर एक पहचान और वैधता प्रदान करती है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि किस देश ने सबसे पहले नवगठित भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्वीकार किया।
अमेरिका ने भारत को औपचारिक रूप से मान्यता देने में तत्परता दिखाई। हैरानी की बात यह है कि अमेरिका ने भारत की स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा से पहले ही, जुलाई 1947 में, भारत में अपना दूतावास (Embassy) स्थापित कर लिया था। यह कदम भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की नींव को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि अमेरिका भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखने के लिए पहले से ही तैयार था। राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने 15 अगस्त 1947 को भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड लुईस माउंटबेटन को एक बधाई संदेश भेजकर औपचारिक रूप से मान्यता दी
अन्य देशों की मान्यता और भू-राजनीति
अमेरिका के बाद, यूनाइटेड किंगडम (UK), सोवियत संघ (USSR) और फ्रांस जैसे प्रमुख देशों ने भी जल्द ही भारत को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। ये मान्यताएं उस समय की भू-राजनीतिक स्थिति में भारत के महत्व को दर्शाती हैं। जहाँ एक ओर भारत अपनी विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता की राह पर चल रहा था, वहीं अमेरिका और सोवियत संघ जैसे महाशक्तियों से मिली शुरुआती मान्यताएं भारत के लिए वैश्विक मंच पर अपनी जगह बनाने में सहायक हुईं।
उस दिन (15 अगस्त 1947) भारत को मान्यता देने वाले 10 से अधिक देश थे, जिनमें सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, श्रीलंका (उस समय सीलोन), ऑस्ट्रेलिया और चीन शामिल थे। हालाँकि, अमेरिका का दूतावास पहले स्थापित होना और औपचारिक मान्यता में उसकी तत्परता उसे सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में अग्रणी बनाती है
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