img

जोशीमठ पीड़ितों  को आपदा से उबारने के लिए सरकार लगातार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इन कोशिशों के बाद भी कई चुनौतियां ऐसी हैं जिससे सरकार को काफी परेशानी हो रही है। इसमें सबसे बड़ी समस्या पुनर्वास, विस्थापन तथा राहत पैकेज को लेकर है। जोशीमठ के लोग इन मुद्दों पर एकमत नहीं हैं। ऐसे में आम सहमति बनाने के लिए सरकार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

इस सिलसिले में सरकार ने जिला प्रशासन और शासन स्तर पर दो टीमों का गठन किया है। जिला स्तर पर बनाई गई टीम में स्थानीय रसूखदारों को भी शामिल किया गया है। ताकि उनके सुझावों को शामिल कर एक अच्छी और प्रभावी योजना तैयार की जा सके।

आपको बता दें कि जोशीमठ में प्रभावित लोगों का विस्थापन और पुनर्वास होना है। जो जोशीमठ के मूल निवासी हैं। यह लोग किसी भी हालत में अपने घर  दूर नहीं होना चाहते। इनकी मांग है कि इन्हें जोशीमठ के करीब ही आवास, दुकान या खेती की भूमि दी जाए। इनमें सबसे ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिनका कारोबार पूरी तरह से धार्मिक, प्राकृतिक और साहसिक पर्यटन पर आधारित है। इसलिए कई लोग जोशीमठ छोड़कर नहीं जाना चाहते।

जो जोशीमठ में 45-65 सालों से ज्यादा वक्त से बसे हुए हैं मगर जमीन उनके नाम पर नहीं है। उनके पास मकान हैं, दुकानें हैं मगर मालिकाना हक नहीं है। बेनाप की भूमि पर रहने वाले लोग सालों से खेती करते आ रहे हैं। मगर 1958-64 के बाद उत्तराखंड में जमीन बंदोबस्त नहीं हो सका है। इस कारण जोशीमठ के ऐसे सभी लोगों का नाम खसरा खतौनी में दर्ज नहीं है। ऐसे लोगों के लिए भी डीएम स्तर पर कोशिशें शुरू कर दी गई हैं।

 

--Advertisement--