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Up kiran,Digital Desk : रामनगर के पूछड़ी में रविवार की सुबह 52 परिवारों के लिए कयामत बनकर आई। सुबह के सर्द अंधेरे में जब नौ बुलडोजर और चार पोकलैंड मशीनों ने गरजना शुरू किया, तो सैकड़ों लोगों के सपनों के घर पलक झपकते ही मलबे के ढेर में तब्दील हो गए। इस सात घंटे की महा-कार्रवाई के बीच हर किसी की जुबान पर सिर्फ दो नाम थे- सलीम और ताहिर। ये वही भू-माफिया हैं, जिनसे इन गरीब परिवारों ने डेढ़ से तीन लाख रुपये में 'अपनी छत' का सपना खरीदा था।

आंखों में आंसू, गोद में बच्चे... उजड़ गई पूरी दुनिया

प्रशासन की इस कार्रवाई से पहले शनिवार रात को ही इलाके में मातम पसर गया था। अचानक पूरे इलाके की बिजली काट दी गई और अंधेरे में सरकारी मुनादी की आवाजें गूंजने लगीं, जिसमें लोगों को सुबह तक घर खाली करने का आखिरी अल्टीमेटम दिया जा रहा था। रात भर लोग रोते-बिलखते, अंधेरे में ही अपनी जिंदगी भर की कमाई और सामान को समेटते रहे। सुबह का मंजर और भी दर्दनाक था। आंखों में आंसू लिए, गोद में रोते बच्चों को संभाले लोग अपने टूटे हुए आशियानों को बेबसी से देख रहे थे।

10 रुपये के स्टांप पर हुआ सबसे बड़ा धोखा

यह कहानी सिर्फ अतिक्रमण की नहीं, बल्कि एक बड़े धोखे की भी है। करीब एक दशक पहले वन विभाग की 100 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अवैध कब्जा कर एक पूरी कॉलोनी बसा दी गई थी। पिछले साल जब जांच हुई तो पता चला कि भू-माफिया ने 170 परिवारों को महज 10 रुपये के स्टांप पेपर पर करोड़ों की सरकारी जमीन बेच दी थी। इस मामले में मो. ताहिर समेत 6 लोगों पर मुकदमा भी दर्ज है, लेकिन अब पीड़ितों ने सलीम का नाम भी लिया है, जिसकी पुलिस जांच कर रही है।

7 घंटे, 300 पुलिसकर्मी और 25 हेक्टेयर जमीन खाली

रविवार सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक चली इस कार्रवाई में 15 पक्के मकानों समेत कुल 52 अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए गए। विरोध की किसी भी आशंका से निपटने के लिए 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे। इस महा-अभियान में वन विभाग की 25 हेक्टेयर जमीन को कब्जामुक्त कराया गया। इसमें नगरपालिका की वह जमीन भी शामिल थी, जिसे ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए खरीदा गया था, लेकिन कब्जे के चलते वहां काम शुरू नहीं हो सका था।

एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि स्टांप पर जमीन बेचने वाले आरोपी ताहिर के साथ ही सलीम का नाम भी सामने आया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। कार्रवाई का विरोध करने वाले 13 से ज्यादा लोगों को हिरासत में भी लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। यह कार्रवाई भू-माफिया के खिलाफ एक बड़ा कदम है, लेकिन इसने उन सैकड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया है, जो धोखाधड़ी का शिकार हुए।