Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली में हुए कार धमाके और फरीदाबाद से पकड़े गए 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल की जांच की कड़ियां अब एक निजी यूनिवर्सिटी से जुड़ गई हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) समेत कई सुरक्षा एजेंसियों की टीमें आज सुबह फरीदाबाद के धौज इलाके में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पहुंचीं और एक बड़ा तलाशी अभियान शुरू किया.
एजेंसियों को शक है कि यह यूनिवर्सिटी आतंकियों के लिए एक "सुरक्षित अड्डा" बन गई थी, जहां वे मिलते थे और अपनी साजिशों को अंजाम देने की योजना बनाते थे.
यूनिवर्सिटी ही क्यों आई शक के घेरे में?
जांच में यह बात सामने आई है कि दिल्ली धमाके का मुख्य साजिशकर्ता, डॉ. उमर (जो फिलहाल फरार है), और फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए मॉड्यूल के कई सदस्य इसी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रह चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, ये पढ़े-लिखे आतंकी अपनी पुरानी जान-पहचान का फायदा उठाकर अक्सर यूनिवर्सिटी कैंपस में मिलते थे ताकि किसी को उन पर शक न हो.
एक यूनिवर्सिटी कैंपस होने के कारण, यहां छात्रों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे किसी बाहरी व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखना मुश्किल हो जाता है. आतंकियों ने इसी बात का फायदा उठाया.
यूनिवर्सिटी में हड़कंप, कई लोगों से पूछताछ
जैसे ही जांच टीमों ने यूनिवर्सिटी में प्रवेश किया, वहां हड़कंप मच गया. टीमों ने यूनिवर्सिटी के कुछ स्टाफ, मैनेजमेंट के लोगों और मौजूदा छात्रों से लंबी पूछताछ की. एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यूनिवर्सिटी के किसी कर्मचारी को इन गतिविधियों की भनक थी या ये लोग अपनी पहचान छिपाकर यहां मिलते थे.
तलाशी के दौरान यूनिवर्सिटी से कुछ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त किए जाने की खबर है, जिनकी जांच की जा रही है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस सर्च ऑपरेशन से इस पूरे आतंकी नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने में बड़ी मदद मिल सकती है.
यह मामला बेहद गंभीर है क्योंकि यह पहली बार है जब किसी आतंकी साजिश के तार सीधे तौर पर एक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के कैंपस से जुड़ते दिख रहे हैं.




