Up Kiran, Digital Desk: भारतीय घरेलू क्रिकेट में एक नया इतिहास रचा गया है। 11 साल के लंबे और सूखे इंतजार को खत्म करते हुए, सेंट्रल जोन ने दलीप ट्रॉफी के फाइनल में मजबूत मानी जा रही साउथ जोन की टीम को 6 विकेट से हराकर खिताब अपने नाम कर लिया है। यह एक ऐसी जीत है, जिसे सालों तक याद रखा जाएगा, क्योंकि यह सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि धैर्य, मेहनत और टीम वर्क का नतीजा है।
फाइनल का रोमांच: जब मुश्किल लक्ष्य को किया आसान
बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस फाइनल के आखिरी दिन सेंट्रल जोन को जीत के लिए 169 रनों का लक्ष्य मिला था। फाइनल मैच के दबाव में यह लक्ष्य किसी भी टीम के लिए मुश्किल हो सकता था, लेकिन सेंट्रल जोन के इरादे कुछ और ही थे।
सलामी बल्लेबाज हिमांशु मंत्री (59 रन) ने एक शानदार अर्धशतक लगाकर जीत की नींव रखी। उनके अलावा यश कोठारी (43 रन) ने भी उनका भरपूर साथ दिया। इन दोनों की सधी हुई पारियों ने साउथ जोन के सितारों से सजे बॉलिंग अटैक को बेअसर कर दिया और सेंट्रल जोन के लिए जीत की राह आसान बना दी।
जीत का असली हीरो: 'सर' आदित्य सरवटे
अगर इस ऐतिहासिक जीत का कोई एक सबसे बड़ा हीरो था, तो वह थे आदित्य सरवटे। उन्होंने इस पूरे मैच में अपनी घूमती हुई गेंदों से साउथ जोन के बल्लेबाजों को दिन में तारे दिखा दिए। सरवटे ने मैच में कुल 13 विकेट चटकाए, जिसमें पहली पारी में 7 और दूसरी पारी में 6 विकेट शामिल थे।
उनके इसी अविश्वसनीय प्रदर्शन के लिए उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया। उन्होंने अकेले दम पर मयंक अग्रवाल, हनुमा विहारी और वाशिंगटन सुंदर जैसे अंतरराष्ट्रीय सितारों से सजी साउथ जोन की टीम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
यह जीत भारतीय घरेलू क्रिकेट की खूबसूरती को दर्शाती है, जहाँ बड़े नाम नहीं, बल्कि मैदान पर दिखाया गया प्रदर्शन मायने रखता है। 11 साल बाद ट्रॉफी उठाना सेंट्रल जोन के हर खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ के लिए एक भावुक और यादगार लम्हा था।
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