Up Kiran, Digital Desk: कुछ फिल्में बनती हैं, कुछ हिट होती हैं, और फिर कुछ ऐसी फिल्में आती हैं जो इतिहास बन जाती हैं। एस.एस. राजामौली की 'बाहुबली' एक ऐसी ही फिल्म है। इसे सिर्फ एक फिल्म कहना गलत होगा; यह एक अनुभव है, एक ऐसा महाकाव्य है जिसने भारतीय सिनेमा को हमेशा के लिए बदल दिया। सालों बाद भी, जब आप अमरेन्द्र बाहुबली को स्क्रीन पर देखते हैं, तो आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं और दिल में वही जोश भर जाता है।
यह फिल्म सिर्फ वीएफएक्स (VFX) और बड़े-बड़े सेट्स का कमाल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी कहानी है जो दिल से जुड़ती है।
क्या है बाहुबली की कहानी?
यह कहानी है माहिष्मती साम्राज्य की, जहाँ सिंहासन के लिए दो भाइयों के बीच टकराव होता है। एक तरफ है धर्म और वचन के पक्के अमरेन्द्र बाहुबली (प्रभास) और दूसरी तरफ है ताकत और धोखे का प्रतीक भल्लालदेव (राना दग्गुबाती)। कहानी में सिर्फ युद्ध नहीं है, बल्कि इसमें माँ का प्यार, बेटे का बलिदान, एक पत्नी (देवसेना) का स्वाभिमान और एक वफादार सेवक (कटप्पा) की बेबसी भी है।
फिल्म का पहला भाग जहाँ हमें शिवुडू (महेंद्र बाहुबली) के जरिए माहिष्मती की रहस्यमयी दुनिया से मिलाता है, वहीं दूसरा भाग उस सवाल का जवाब देता है जिसने पूरे देश को बेचैन कर दिया था - "कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?"
किरदार जिन्होंने कहानी में जान डाल दी
प्रभास (बाहुबली): इस किरदार में प्रभास ने सिर्फ एक्टिंग नहीं की है, उन्होंने इसे जिया है। चाहे वो प्रजा का प्यारा राजा अमरेन्द्र हो या अपनी माँ के अतीत का बदला लेने वाला बेटा शिवुडू, दोनों ही किरदारों में उन्होंने जान डाल दी है।
राना दग्गुबाती (भल्लालदेव): एक ऐसा विलेन, जिससे आपको सच में नफरत हो जाए। राना ने भल्लालदेव की क्रूरता और जलन को पर्दे पर इतनी शिद्दत से उतारा है कि आप हैरान रह जाएंगे।
अनुष्का शेट्टी (देवसेना): एक ऐसी राजकुमारी जो सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि स्वाभिमानी और साहसी भी है। देवसेना के किरदार में अनुष्का शेट्टी ने जो आग भरी है, वो काबिले तारीफ है।
कटप्पा और शिवगामी: इन दो किरदारों के बिना बाहुबली की कहानी अधूरी है। कटप्पा के किरदार में सत्यराज और शिवगामी के किरदार में राम्या कृष्णन ने कहानी को एक अलग ही ऊंचाई दी है।
क्यों आज भी खास है यह फिल्म?
'बाहुबली' वो फिल्म है जिसने हमें सिखाया कि अगर कहानी में दम हो और उसे बनाने का जुनून हो, तो भारतीय सिनेमा भी हॉलीवुड को टक्कर दे सकता है। इसके शानदार विजुअल्स, इमोशन्स से भरे सीन और रोंगटे खड़े कर देने वाले एक्शन सीक्वेंस आज भी उतने ही असरदार लगते हैं जितने पहली बार लगे थे। यह एक ऐसी फिल्म है जिसे आप जितनी बार देखेंगे, उतनी बार आपको इसमें कुछ नया मिलेगा।
यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक जश्न है, भारतीय सिनेमा का जश्न। अगर आपने अब तक यह महाकाव्य नहीं देखा है, तो आप भारतीय सिनेमा के एक बहुत बड़े मील के पत्थर से अनजान हैं। और अगर देख चुके हैं, तो इसे एक बार फिर बड़े पर्दे पर महसूस करने का अनुभव ही कुछ और है।
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