Up Kiran, Digital Desk: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आज सुबह एक अच्छी खबर आई. पिछले दो हफ्तों से लगातार दबाव झेल रहा भारतीय रुपया आज मजबूती के साथ खुला. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 88 के स्तर से नीचे आ गया, जो बाजार में एक सकारात्मक माहौल का संकेत है.
आखिर क्यों आई यह मजबूती?
बाजार के जानकारों के अनुसार, इस मजबूती के पीछे सबसे बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत (Trade Talks) का फिर से शुरू होना है. काफी समय से दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर कुछ मुद्दों पर बातचीत रुकी हुई थी. अब जब यह बातचीत दोबारा पटरी पर लौटी है, तो निवेशकों और बाजार में यह उम्मीद जगी है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच एक बड़ी ट्रेड डील हो सकती है.
जब भी इस तरह की सकारात्मक खबरें आती हैं, तो देश में विदेशी निवेश आने की उम्मीद बढ़ जाती है, जिससे भारतीय रुपये की मांग बढ़ती है और वह डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है.
क्या होता है रुपया मजबूत होने का मतलब?
आसान भाषा में समझें तो, रुपया मजबूत होने का मतलब है कि अब हमें डॉलर में खरीदी जाने वाली चीजों के लिए पहले से कम रुपये देने होंगे.
इससे विदेशों से आयात होने वाला सामान, जैसे कि कच्चा तेल (पेट्रोल-डीजल) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सस्ता हो सकता है.
विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों या घूमने जाने वाले लोगों के लिए भी यह राहत की बात है क्योंकि उनका खर्च कम हो जाता है.
यह अभी शुरुआती मजबूती है, लेकिन इसने बाजार को एक पॉजिटिव बूस्ट दिया है. अब सबकी नजरें भारत और अमेरिका के बीच चल रही बातचीत के नतीजों पर टिकी हैं. अगर यह बातचीत सफल रहती है, तो आने वाले दिनों में रुपये में और भी मजबूती देखने को मिल सकती है.
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