
Up Kiran, Digital Desk: आज की दुनिया में हार्ट डिजीज, डायबिटीज, कैंसर, या अल्जाइमर जैसी बीमारियाँ आम होती जा रही हैं. हमने शायद हर डॉक्टर से सलाह ली हो, हर रिपोर्ट देखी हो, पर क्या आप जानते हैं कि इन बीमारियों की जड़ में एक ऐसा 'छुपा हुआ दुश्मन' हो सकता है, जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं क्रोनिक इन्फ्लेमेशन यानी 'लंबे समय से चल रही शरीर की सूजन' की.
शरीर की अंदरूनी 'आग': क्या है क्रोनिक इन्फ्लेमेशन?
हमारा शरीर एक गजब की मशीन है. जब कोई चोट लगती है या संक्रमण होता है, तो हमारा शरीर तुरंत हरकत में आता है. वह उस जगह को ठीक करने और बाहरी हमलों से लड़ने के लिए वहां 'सूजन' (inflammation) पैदा करता है. यह एक अच्छी चीज़ है, जिसे 'एक्यूट इन्फ्लेमेशन' कहते हैं, और यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है.
लेकिन, जब यह सूजन लंबे समय तक, सालों-साल तक हमारे शरीर के अंदरूनी हिस्सों में जलती रहती है, तब यह 'क्रोनिक इन्फ्लेमेशन' बन जाती है. यह धीरे-धीरे, दबे पांव शरीर को नुकसान पहुंचाती रहती है और कई खतरनाक बीमारियों की जड़ बन जाती है. यह ठीक वैसा ही है जैसे आग को बुझाया न जाए, तो वह धीरे-धीरे सब कुछ जला देती है.
कैसे शरीर में पनपता है यह 'छुपा दुश्मन'?
हमारी रोज़मर्रा की जीवनशैली अक्सर क्रोनिक इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा देती है:
गलत खान-पान: बहुत ज़्यादा प्रोसेस्ड फूड, चीनी, और अस्वास्थ्यकर फैट (जैसे तला-भुना और जंक फूड) खाना.
तनाव: लगातार चिंता, घबराहट या कोई मानसिक बोझ.
नींद की कमी: पर्याप्त नींद न लेना या अनियमित नींद का पैटर्न.
कसरत न करना: शारीरिक रूप से एक्टिव न रहना.
पर्यावरणीय कारक: प्रदूषण, केमिकल या अन्य जहरीले तत्वों के संपर्क में आना.
कौन सी बीमारियाँ पैदा कर सकता है यह 'खतरनाक सूजन'?
जब क्रोनिक इन्फ्लेमेशन शरीर में लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह कई गंभीर बीमारियों को न्योता दे सकती है, जैसे:
हार्ट डिजीज: धमनियों में ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का खतरा.
डायबिटीज (टाइप 2): शरीर इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाता है.
कैंसर: कई तरह के कैंसर (जैसे कोलन, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट) के खतरे को बढ़ा सकता है.
जोड़ों की बीमारियाँ: आर्थराइटिस, जोड़ों में दर्द और अकड़न.
दिमागी समस्याएं: अल्जाइमर, डिमेंशिया और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं.
पाचन तंत्र के रोग: IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) और अन्य पेट की गड़बड़ियां.
एलर्जी और अस्थमा: इम्यून सिस्टम का गड़बड़ तरीके से रिएक्ट करना.
शरीर की 'अंदरूनी आग' को कैसे बुझाएं:अच्छी बात यह है कि क्रोनिक इन्फ्लेमेशन को कम करना हमारे ही हाथों में है. जीवनशैली में कुछ छोटे लेकिन असरदार बदलाव करके हम अपने शरीर को इस 'छुपे हुए दुश्मन' से बचा सकते हैं:
एंटी-इन्फ्लेमेटरी डाइट: ज़्यादा से ज़्यादा फल, सब्जियां (खासकर हरी पत्तेदार), नट्स, बीज, और ओमेगा-3 फैटी एसिड (जैसे मछली, अलसी) खाएं. प्रोसेस्ड फूड, चीनी, मैदा और तले-भुने खाने से बचें.
नियमित व्यायाम: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट ब्रिस्क वॉक, योग, या कोई भी ऐसी एक्टिविटी करें जिससे पसीना आए.
पर्याप्त नींद: हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद लें.
तनाव कम करें: ध्यान (meditation), गहरी साँस लेने के व्यायाम, या अपनी पसंद की कोई एक्टिविटी करके तनाव को मैनेज करें.
धूम्रपान और शराब से दूरी: इनका सेवन क्रोनिक इन्फ्लेमेशन को बढ़ाता है.
याद रखें, छोटी-छोटी आदतें मिलकर बड़ा फर्क ला सकती हैं. अपने शरीर को समझें, उसकी सुनें और उसे वह देखभाल दें जिसकी उसे ज़रूरत है.