
Up Kiran, Digital Desk: त्योहारी सीजन से ठीक पहले, केंद्र सरकार ने देश के कपड़ा उद्योग को एक बड़ी राहत देते हुए एक अहम फ़ैसला लिया है। सरकार ने विदेश से आने वाले कपास (कॉटन) पर लगने वाले इम्पोर्ट टैक्स में छूट को 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। इस फ़ैसले का सीधा मतलब है कि कपड़ा बनाने वाली मिलें और गारमेंट फैक्ट्रियां अब साल के आख़िर तक बिना कोई अतिरिक्त टैक्स दिए विदेश से सस्ता कच्चा माल मंगा सकेंगी।
यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब कपड़ा उद्योग कच्चे माल की बढ़ती क़ीमतों से जूझ रहा था। लेकिन इस कहानी में सिर्फ़ घरेलू बाज़ार का ही एंगल नहीं है, इसके तार अमेरिका में चल रही राजनीतिक गहमागहमी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लगाने की धमकी से भी जुड़े हुए हैं।
क्यों लिया गया यह फ़ैसला: भारतीय कपड़ा उद्योग को पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश और वियतनाम से कड़ी टक्कर मिल रही है, जहाँ कच्चा माल सस्ता है। देश में कपास के दाम ज़्यादा होने की वजह से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ रही थी, जिससे उनका मुनाफ़ा घट रहा था और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में टिके रहना मुश्किल हो रहा था। इस 11% के आयात शुल्क (जिसमें कस्टम ड्यूटी और सेस शामिल हैं) के हटने से कंपनियों को सस्ती कपास मिलेगी, जिससे वे बाज़ार में मुक़ाबला कर पाएंगी।
क्या है अमेरिका का कनेक्शन?
इस फ़ैसले को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस हालिया धमकी से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने भारतीय सामानों पर 100% से ज़्यादा का टैक्स (टैरिफ) लगाने की बात कही थी। अमेरिका भारतीय कपड़ों का एक बहुत बड़ा ख़रीदार है। अगर अमेरिका इतना भारी टैक्स लगाता है, तो भारतीय कपड़े वहां बहुत ज़्यादा महंगे हो जाएंगे और बिकना बंद हो जाएंगे।
ऐसे में, भारत सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अगर अमेरिकी टैरिफ का ख़तरा आता भी है, तो कम से कम कच्चे माल की लागत कम करके भारतीय कंपनियों को थोड़ी राहत दी जा सके, ताकि वे इस झटके को झेल पाएं।
किसानों की बढ़ सकती है चिंता
हालांकि यह फ़ैसला कपड़ा उद्योग के लिए बड़ी ख़ुशख़बरी है, लेकिन यह देश के लाखों कपास किसानों की चिंता बढ़ा सकता है। जब विदेश से सस्ता कॉटन बिना किसी टैक्स के देश में आएगा, तो घरेलू कपास की मांग पर असर पड़ सकता है। इससे किसानों को अपनी फ़सल का सही दाम मिलने में मुश्किल आ सकती है।