Up kiran,Digital Desk : तीन साल, अनगिनत जानें, और टूटे हुए शहर... रूस और यूक्रेन के बीच चल रही इस विनाशकारी लड़ाई को खत्म करने के लिए अब दुनिया भर में हलचल तेज हो गई है। और इस बार, शांति की उम्मीद एक ऐसी जगह से जगी है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक पुरानी शांति योजना से।
क्या है ये पूरा मामला?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की, जो अब तक किसी भी तरह के समझौते से बचते आए हैं, ने अब एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि ट्रंप के समय की एक पुरानी शांति योजना में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं, और यह बदला हुआ रूप अब "पहले से बेहतर" दिख रहा है।
ज़ेलेंस्की ने यह बात फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात के बाद कही। दोनों नेता इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि अगर युद्धविराम होता है, तो उसकी शर्तें क्या होंगी। मैक्रों का मानना है कि यह बातचीत भले ही अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन यह भविष्य के लिए एक "अहम मोड़" साबित हो सकती है।
क्यों विवादों में था ट्रंप का पुराना प्लान?
अब सवाल यह है कि अगर यह प्लान इतना ही अच्छा है, तो इसे पहले क्यों नहीं माना गया? दरअसल, ट्रंप के समय की पुरानी 28-पॉइंट वाली योजना बहुत विवादित थी। उसमें यूक्रेन से कुछ ऐसी मांगें की गई थीं, जिन्हें मानना लगभग नामुमकिन था, जैसे:
- अपनी सेना का आकार बहुत छोटा कर दो।
- कभी भी NATO में शामिल मत होना।
- और सबसे बड़ी बात, अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा रूस को दे दो।
जाहिर है, कोई भी देश ऐसी शर्तों पर राजी नहीं होता। हालांकि, अब ट्रंप कह रहे हैं कि वह सिर्फ एक "कॉन्सेप्ट" था, जिसमें सुधार किया जा सकता है।
पर्दे के पीछे भी चल रहा है खेल
इस बीच, पर्दे के पीछे भी बड़ी हलचल है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन मंगलवार को अमेरिका के एक खास दूत से मिल रहे हैं। वहीं, अमेरिका और यूक्रेन के बीच भी लगातार बातचीत चल रही है। इससे यह इशारा मिल रहा है कि हर कोई अब इस युद्ध का हल निकालने के लिए गंभीर हो गया है।
यूरोप की चिंता: कहीं शांति के नाम पर दबाव तो नहीं?
इस पूरी कहानी में यूरोप की भूमिका भी बहुत अहम है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने साफ कर दिया है कि किसी भी शांति समझौते में यूरोपीय देशों को शामिल करना ही होगा। लेकिन यूरोप में एक चिंता भी है। कुछ नेताओं को डर है कि कहीं शांति स्थापित करने की जल्दबाजी में यूक्रेन पर कोई गलत समझौता करने के लिए अनावश्यक दबाव न डाला जाए।
फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि यह शांति वार्ता किस दिशा में जाएगी, लेकिन तीन साल की तबाही के बाद, बातचीत की यह नई पहल एक उम्मीद की किरण जरूर है।
_943543150_100x75.png)
_613774581_100x75.png)
_165040351_100x75.png)
_1602298716_100x75.png)
_1509998033_100x75.png)