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Up Kiran, Digital Desk: विटामिन डी, जिसे 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है, हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन आजकल, विटामिन डी की कमी एक आम समस्या बन गई है, खासकर शहरी जीवनशैली में। तो सवाल उठता है कि विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के लिए क्या सबसे प्रभावी है - सूरज की रोशनी, सप्लीमेंट्स या भोजन? आइए, इस पर गहराई से नज़र डालते हैं।

 सूरज की रोशनी (Sunlight): विटामिन डी का प्राकृतिक और सबसे अच्छा स्रोत
जब आपकी त्वचा सूरज की पराबैंगनी बी (UVB) किरणों के संपर्क में आती है, तो आपका शरीर प्राकृतिक रूप से विटामिन डी का उत्पादन करता है। यह विटामिन डी प्राप्त करने का सबसे प्रभावी और प्राकृतिक तरीका है।

फायदे: मुफ्त, प्राकृतिक, शरीर इसे जरूरत के हिसाब से बनाता है।

नुकसान: त्वचा के कैंसर का जोखिम (अत्यधिक एक्सपोजर), धूप में रहने के समय की कमी, प्रदूषण, सर्दियों में कम धूप।

कितना एक्सपोजर? विशेषज्ञों का मानना है कि दिन में 10-30 मिनट तक धूप में रहना पर्याप्त हो सकता है, खासकर सुबह या शाम को जब सूरज की किरणें बहुत तेज न हों।

 भोजन (Food): एक सहायक स्रोत, लेकिन पर्याप्त नहीं
कुछ खाद्य पदार्थों में भी विटामिन डी पाया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा अक्सर कम होती है।

स्रोत: फैटी मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल, टूना), कॉड लिवर ऑयल, कुछ फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ (जैसे दूध, दही, अनाज), अंडे की जर्दी और कुछ मशरूम।

फायदे: संतुलित आहार का हिस्सा।

नुकसान: केवल भोजन से पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना अक्सर मुश्किल होता है, खासकर अगर आप शाकाहारी हैं।

सप्लीमेंट्स (Supplements): कमी होने पर सबसे प्रभावी उपाय
अगर आपको धूप से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पा रहा है या आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है, तो सप्लीमेंट्स सबसे प्रभावी तरीका हैं।

फायदे: सटीक खुराक मिलती है, मौसम की परवाह किए बिना सेवन किया जा सकता है, कमी को तेजी से पूरा करता है।

नुकसान: बिना डॉक्टर की सलाह के अधिक खुराक लेने से विषाक्तता (toxicity) हो सकती है, कुछ सप्लीमेंट्स सभी के लिए उपयुक्त नहीं होते।

कब लेना चाहिए? अपने डॉक्टर से परामर्श के बाद ही सप्लीमेंट्स लें, खासकर यदि रक्त परीक्षण में कमी पाई गई हो।

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