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Up kiran,Digital Desk : जब कोई खिलाड़ी 'प्लेयर ऑफ़ द मैच' बनता है, तो वह अपनी पारी की तारीफ़ करता है। लेकिन जब एक असली 'टीम मैन' को यह अवॉर्ड मिलता है, तो वह क्या कहता है? आज एडेन मार्करम ने यही बताया। उन्होंने भारत के जबड़े से जीत छीन ली, एक शानदार शतक बनाया, लेकिन जब उनसे इस बारे में पूछा गया, तो उनके चेहरे पर अपनी पारी की ख़ुशी से ज़्यादा टीम की जीत का सुकून था।

जीत के बाद जब उनसे उनकी शानदार 110 रनों की पारी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "ईमानदारी से कहूँ तो रन तभी मायने रखते हैं, जब आपकी टीम जीतती है। अगर आज भी हम हार जाते, तो मेरे लिए यह शतक किसी काम का नहीं था।"

पहले मैच का 'विलेन', आज बना 'हीरो'

उनकी यह बात खोखली नहीं थी, इसके पीछे पहले मैच का दर्द छिपा था। मार्करम ने खुले दिल से माना कि पहले मैच में मिली हार के लिए वो ख़ुद को ज़िम्मेदार मानते हैं। उस दिन टीम जीत के करीब आकर हार गई थी और इसका बोझ वो अपने कंधों पर लेकर घूम रहे थे।

लेकिन आज, उन्होंने उस हार का पूरा बदला चुकाया। जब 359 रनों का विशाल लक्ष्य सामने था, तो ऐसा लग रहा था कि मानो पहले मैच की कहानी दोहराई जाएगी। लेकिन इस बार मार्करम चट्टान की तरह खड़े हो गए। उन्होंने सिर्फ़ शतक ही नहीं बनाया, बल्कि डेवाल्ड ब्रेविस और मैथ्यू ब्रीट्ज़के जैसे युवा खिलाड़ियों के साथ मिलकर टीम को जीत की दहलीज़ तक ले गए।

"अब हम कह सकते हैं कि हमने ऐसा पहले भी किया है"

अब सीरीज़ 1-1 से बराबर हो गई है और फ़ैसला आख़िरी मैच में होगा। मार्करम का मानना है कि इस तरह की जीतें आने वाले वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के लिए टीम का आत्मविश्वास आसमान पर ले जाती हैं। उन्होंने कहा, "जब आप इतने बड़े लक्ष्य हासिल करते हैं, तो टीम में एक भरोसा आता है। भविष्य में अगर हम फिर कभी ऐसी मुश्किल स्थिति में फँसे, तो हम ख़ुद से कह पाएँगे कि 'हमने ऐसा पहले भी किया है, और हम दोबारा कर सकते हैं'।"

कुल मिलाकर, मार्करम ने सिर्फ़ एक मैच नहीं जिताया, बल्कि यह भी दिखाया कि एक महान खिलाड़ी के लिए टीम से बढ़कर कुछ नहीं होता।