Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, बदलते हुए ग्लोबल माहौल में देशों के आपसी रिश्ते कैसे बनते-बिगड़ते हैं, यह देखना दिलचस्प होता है. इसी बीच, हमारे देश के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने रूस दौरे पर थे, और वहाँ उन्होंने भारत-रूस के संबंधों को लेकर एक बहुत ही अहम बात कही है. उन्होंने कहा है कि भारत और रूस की दोस्ती दुनिया में स्थिरता लाने का एक बहुत बड़ा ज़रिया है. यानी यह सिर्फ़ दो देशों के बीच का रिश्ता नहीं, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संतुलन बनाए रखने का एक अहम कारक है.
एक मजबूत दोस्ती की बुनियाद: स्थिरता का फैक्टर
मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष, यानी वहाँ के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलने के बाद जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि आज के मुश्किल और अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल में, भारत और रूस के बीच की दोस्ती वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है. उनकी बातों का सीधा मतलब था कि दोनों देशों के बीच मजबूत और पुराने रिश्ते एक तरह से दुनिया के लिए एक 'स्थिरता का केंद्र' (Factor of Stability) हैं.
आपने देखा होगा कि आज दुनिया में कितनी उथल-पुथल चल रही है. ऐसे में भारत और रूस का दशकों पुराना और भरोसेमंद साथ एक बड़ी भूमिका निभाता है. जयशंकर के इस बयान ने यह भी साफ कर दिया कि दुनिया की भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, भारत और रूस का रिश्ता मजबूत बना हुआ है और दोनों देश एक-दूसरे के लिए बहुत मायने रखते हैं.
किन बातों पर हुई चर्चा?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ अपनी बातचीत में कई अहम मुद्दों पर बात की. इसमें दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक साझेदारी को कैसे और मजबूत किया जाए, इन पर चर्चा हुई. ज़ाहिर है, दोनों देशों के बीच सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी बात हुई होगी, जो उनके संबंधों का एक बहुत मजबूत हिस्सा है.
भारत और रूस हमेशा से रणनीतिक साझेदार रहे हैं. रक्षा, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में उनके सहयोग ने हमेशा यह साबित किया है कि ये दोस्ती कितनी गहरी है. जयशंकर के बयान ने इस बात पर फिर मुहर लगा दी है कि यह रिश्ता सिर्फ़ दोनों देशों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है.
तो क्यों है यह रिश्ता इतना खास?
यह रिश्ता इसलिए खास है, क्योंकि यह भरोसे और साझा हितों पर टिका है. भारत हमेशा से एक बहु-ध्रुवीय (Multi-polar) विश्व व्यवस्था का समर्थक रहा है, जहाँ कोई एक देश सब पर हावी न हो. रूस भी ऐसी ही कुछ सोच रखता है. ऐसे में इन दोनों बड़े देशों की दोस्ती से अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत संतुलन बना रहता है.
संक्षेप में, एस. जयशंकर का रूस दौरा और उनका यह बयान सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि यह दुनिया को भारत की विदेश नीति और उसकी रूस के साथ मजबूत दोस्ती का एक बड़ा संदेश था. यह दोस्ती आज भी दुनिया के कई जटिल समीकरणों में स्थिरता लाने का काम कर रही है.
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