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Up Kiran, Digital Desk:  बीते हफ्ते 19 से 23 मई के बीच भारतीय शेयर बाजार में खूब हलचल देखने को मिली। एक ओर जहां शुरुआती दिनों में बाजार दबाव में रहा, वहीं शुक्रवार को सप्ताह का अंत बढ़त के साथ हुआ, जिसने निवेशकों को राहत की सांस दी। मगर अब सबकी निगाहें नए कारोबारी सप्ताह (27 मई से शुरू) पर टिकी हैं, जिसमें कई बड़े इवेंट्स बाजार की दिशा तय करेंगे।

इस सप्ताह मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी, चौथी तिमाही के शेष कंपनियों के नतीजे, महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े और वैश्विक घटनाक्रम – ये सब मिलकर बाजार में उतार-चढ़ाव ला सकते हैं।

बीते सप्ताह बाजार की चाल कैसी रही

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजित मिश्रा के अनुसार, वैश्विक और घरेलू कारणों के चलते बीते सप्ताह बाजार की चाल कुछ सुस्त रही। खासकर, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और अमेरिका के बढ़ते कर्ज को लेकर चिंताओं के कारण एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) निकासी करते नजर आए, जिससे भारत समेत उभरते बाजारों पर दबाव बना।

इस सप्ताह किन संकेतकों पर रहेगी नजर

1. अहम आर्थिक आंकड़े
28 मई: अप्रैल महीने का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन डेटा जारी होगा।

30 मई: भारत की GDP वृद्धि दर के आंकड़े सामने आएंगे।

ये दोनों आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और विकास दर की चाल को दर्शाएंगे।

2. मौसमी मोर्चा

मानसून की प्रगति पर अपडेट्स भी बाजार के मूड को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर एग्री-स्टॉक्स और FMCG सेक्टर के लिए।

3. ग्लोबल संकेत

अमेरिका की FOMC बैठक के मिनट्स, बॉन्ड मार्केट का रुख और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के नतीजे वैश्विक निवेश धारणा को प्रभावित कर सकते हैं।

डेरिवेटिव एक्सपायरी और अर्निंग सीजन की समाप्ति

इस सप्ताह मई डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स का सेटलमेंट होगा, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है। साथ ही बजाज ऑटो, अरविंदो फार्मा, आईआरसीटीसी जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे भी आएंगे, जो स्टॉक्स की चाल को प्रभावित करेंगे।

सिद्धार्थ खेमका (हेड ऑफ रिसर्च, मोतीलाल ओसवाल) के अनुसार, “बाजार की दिशा सकारात्मक रह सकती है, यदि आर्थिक आंकड़े और कंपनियों के नतीजे अनुमान के मुताबिक आते हैं।”

आरबीआई के डिविडेंड का असर

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश देने की घोषणा की है, जो पिछले वित्त वर्ष से 27.4% अधिक है। यह राशि सरकारी खजाने को राहत देने के साथ ही बाजार में लिक्विडिटी को बढ़ावा दे सकती है।

गौरव गर्ग (लेमन मार्केट्स) के अनुसार, निवेशक शुरुआत में इसी डिविडेंड ट्रांसफर पर प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि, ग्लोबल अनिश्चितता और FII की निकासी इस राहत को सीमित कर सकती है।
 

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